
हल्द्वानी। कुमाऊँ मंडल में लगातार हो रही भारी बारिश के बीच कुमाऊं आयुक्त व सचिव मुख्यमंत्री, दीपक रावत, ने आज पत्रकारों से बातचीत में आपदा की स्थिति की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सुबह 8 बजे सभी ज़िलाधिकारियों से बातचीत कर क्षेत्रीय हालात की समीक्षा की गई। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, पूरे मंडल में कुल 71 सड़कें बंद थीं, जिनमें राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य मार्ग, ग्रामीण और जिला सड़कें शामिल हैं। नैनीताल जिले में तीन राष्ट्रीय राजमार्गों पर आवागमन बंद था। क्वारब और अल्मोड़ा मार्गों पर लगातार पत्थर गिरने की वजह से रास्ते अब भी बंद हैं, जबकि टनकपुर-चंपावत राष्ट्रीय राजमार्ग को खोल दिया गया है। बागेश्वर जिले में कपकोट से नाचनी की ओर जाने वाला राजमार्ग भी अपने अंतिम हिस्से में बाधित है। इन सभी मार्गों पर मलबा हटाने और रास्ते बहाल करने का कार्य तेजी से चल रहा है।पिथौरागढ़ जिले के क्वीटी के पास एक गांव में आठ मकानों के क्षतिग्रस्त होने की सूचना थी, लेकिन प्रशासन द्वारा समय रहते सभी लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया। प्रभावित परिवारों को राहत राशि भी तत्काल वितरित कर दी गई है। इसी प्रकार, कैलाश मानसरोवर यात्रा का चौथा दल जो कल टनकपुर से रवाना होकर धारचूला पहुंचा था, वर्तमान में वहीं सुरक्षित रूप से ठहरा हुआ है। धारचूला-लिपुलेख मार्ग पर कई स्थानों पर भूस्खलन के कारण रास्ता बंद है। जैसे ही मार्ग को सुरक्षित रूप से खोला जा सकेगा, यात्रा को आगे बढ़ाया जाएगा। प्रशासन का प्रयास है कि दल आज ही गूंजी तक पहुंच सके। मैदानी क्षेत्रों में भी प्रशासन सतर्कता बरत रहा है। बाजपुर के कुछ कस्बों में सुबह जलभराव की स्थिति बनी थी, जिसे सिंचाई विभाग और स्थानीय प्रशासन की तत्परता से शीघ्र नियंत्रित कर लिया गया। संवेदनशील इलाकों, विशेषकर नालों और तलहटी के पास बसे क्षेत्रों में विशेष निगरानी की जा रही है। हल्द्वानी में नालों के पास रहने वाले परिवारों को कल सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया गया। नागरिकों से अपील की गई है कि वे अपने परिचितों या सुरक्षित स्थानों पर रहने वाले लोगों के साथ कुछ समय के लिए रहकर सहयोग करें। बरसात के पूरे मौसम में इस एसओपी का पालन किया जाएगा। आयुक्त ने बताया कि कुमाऊँ की प्रमुख नदियों का जलस्तर सामान्य से अधिक है, हालांकि अभी खतरे के निशान को पार नहीं किया है। धारी और ओखलखांडा क्षेत्रों में बारिश होने का सीधा असर सितारगंज और खटीमा क्षेत्रों पर होता है। संबंधित उपजिलाधिकारियों और सिंचाई विभाग द्वारा लगातार निगरानी की जा रही है। जिन क्षेत्रों में जलभराव या बाढ़ की आशंका रहती है, वहाँ वैकल्पिक भवनों को राहत केंद्र के रूप में पहले से ही चिन्हित कर लिया गया है। जलस्तर बढ़ने की स्थिति में प्रभावितों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जाएगा। अस्थायी शिविरों में भोजन, पेयजल और अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।जनता से अपील करते हुए मंडलायुक्त ने कहा कि ऐसे सभी लोग जो नदियों और नालों के आसपास रहते हैं, वे भारी वर्षा के समय अपने घरों में न रुकें और सुरक्षित स्थानों पर जाएं। बहुत आवश्यक न हो तो भारी बारिश के समय यात्रा से भी बचें। उन्होंने यह भी कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में कई स्थानों पर गरारियों के माध्यम से यात्रा होती है, लेकिन इस मौसम में ऐसे मार्गों से परहेज़ करना ही समझदारी होगी, भले ही वहां सुरक्षा कर्मी तैनात हों।प्रशासन की प्राथमिकता है कि प्रत्येक प्रभावित व्यक्ति तक शीघ्र

