पिथौरागढ़। तीन दिवसीय 15 वें राष्ट्रीय कुमाउंनी भाषा सम्मेलन मंगलमूर्ति बारात घर में शुरू हुआ। सम्मेलन का शुभारंभ मुख्य अतिथि पूर्व कैबिनेट मंत्री विधायक बिशन सिंह चुफाल, विशिष्ट अतिथि जसविंदर कौर उपनिदेशक उत्तराखंड भाषा संस्थान, कमला पंत पूर्व उप शिक्षा निदेशक उत्तराखंड, देव सिंह पिलख्वाल अध्यक्ष कुमाउंनी भाषा एवं संस्कृति प्रचार समिति, कार्यक्रम के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह भण्डारी पूर्व कुलपति सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, आयोजन समिति के संयोजक डाॅ. अशोक पंत एवं पहरू के संपादक डाॅ. हयात सिंह रावत, वरिष्ठ पत्रकार बीडी कसनियाल की गरिमामय उपस्थिति में किया गया। आयोजन समिति के सचिव जनार्दन उप्रेती, डाॅ. दीप चौधरी, महेश पुनेठा, चिंतामणि जोशी, डाॅ. किशोर पंत, आशा सौन, दिनेश भट्ट, गोविंद सिंह बिष्ट, प्रकाश पुनेठा आदि ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के बाद मानस एकेडमी की छात्राओं ने वंदना और स्वागत गीत प्रस्तुत किया। हाईस्कूल बिण के विद्यार्थियों ने छलिया नृत्य का प्रदर्शन किया। चंचल सिंह बोरा एंड पार्टी द्वारा सांस्कृतिक वंदना पेश की गई। स्वागत उद्बोधन संयोजक डाॅ. अशोक पंत ने करते हुए कहा कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य कुमाउंनी भाषा का प्रचार प्रसार और संरक्षण करना है। संरक्षक डाॅ. हयात सिंह रावत ने कहा कि हमें अपनी दुदबोली कुमाउंनी को बचाने के लिए लिपि और गढ़वाली कुमाउंनी आदि सभी पूर्वाग्रहों को छोड़कर इसे नई पीढ़ी के बीच लोकप्रिय बनाना होगा। विशिष्ट अतिथि जसविंदर कौर ने उत्तराखंड भाषा संस्थान के द्वारा कुमाउंनी भाषा के संरक्षण व संवर्धन के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। शिक्षाविद कमला पंत ने भाषा विज्ञान पर प्रकाश डालते हुए कुमाउंनी भाषा के इतिहास व उपबोलियों पर प्रकाश डाला। डीडीहाट के विधायक बिशन सिंह चुफाल ने कहा कि हमने अपनी दैनिक बातचीत कुमाउंनी में ही करनी चाहिए। सम्मेलन में डाॅ. दीपा गोबाड़ी के कविता संग्रह उजास का और भारती पाण्डे की पुस्तक चौसात का विमोचन किया गया। देव सिंह पिलख्वाल अध्यक्ष कुमाउंनी भाषा एवं संस्कृति प्रचार समिति ने कहा कि हमने कुमाउंनी का सोशल मीडिया द्वारा भी प्रचार प्रसार करना चाहिए। प्रोफेसर नरेंद्र सिंह भण्डारी ने अध्यक्षीय भाषण देते हुए सरकार से मांग की कि सरकार ने कुमाउंनी को शैक्षिक पाठ्यक्रम में शामिल करके इसका साहित्यिक विकास करना होगा। आयोजन स्थल में स्थानीय कुमाउंनी उत्पाद, ऐपन, कलाकृतियां, ऐतिहासिक सामग्री, लिखित भोजपत्र, ताम्रपत्र, वाद्य यंत्र, पुस्तक प्रदर्शनी आदि के स्टाॅल भी लगाए गए हैं। सम्मेलन में अतिथियों व साहित्यकारों को सम्मानित किया गया।कार्यक्रम में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित बसंती देवी, मोहन जोशी, गजेंद्र सिंह बोरा, राजीव जोशी, डाॅ.आनंदी जोशी, महेंद्र ठकुराठी, डाॅ.पीतांबर अवस्थी, नीरज चंद्र जोशी, हेमराज बिष्ट, अनीता जोशी, शुभम नाथ, प्रकाश जोशी, देवाशीष पंत, विजेंद्र पटियाल, सुमन बिष्ट, योगेश भट्ट, हेम पंत, रोमी, नानू बिष्ट, ललिता प्रसाद जोशी, महेश बराल, रमेश जोशी, डाॅ. सीबी जोशी, नीरज पंत, केपीएस अधिकारी, त्रिभुवन बिष्ट, विपिन जोशी “कोमल”, सीपी जोशी, जमन सिंह बिष्ट, शिव दत्त पाण्डे आदि उपस्थित थे।