पिथौरागढ़। राष्ट्रीय कुमाऊंनी भाषा सम्मेलन के द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र की शुरुआत वंदना, स्वागत गीत व शगुन आखर के साथ हुई। मुख्य व विशिष्ट अतिथि डाॅ. गुरुकुलानंद सरस्वती, नरेंद्र भण्डारी, पिथौरागढ़ नगरपालिका अध्यक्ष राजेंद्र रावत, डाॅ. भुवन जोशी, डाॅ. कीर्तिबल्लभ शक्टा व पद्ममश्री से सम्मानित बसंती देवी आदि थे। सत्र में चर्चा का मुख्य विषय “कुमाउंनी साहित्य एवं संस्कृति के प्रचार प्रसार में मीडिया, महोत्सवों व सरकार का योगदान” था। डाॅ. दीपा गोबाड़ी ने कुमाउंनी भाषा साहित्य में आधुनिक जीवन मूल्य विषय पर, डाॅ. पवनेश ठकुराठी ने काव्य में जीवन मूल्य, किरन जोशी ने कथा साहित्य में जीवन मूल्य, चिंतामणि जोशी ने कथेत्तर साहित्य में जीवन मूल्य पर व्याख्यान दिया। महेंद्र ठकुराठी ने कुमाउंनी लोकगीत व संगीत में जीवन मूल्यों पर प्रकाश डाला। डाॅ. हयात सिंह रावत ने कुमाउंनी भाषा एवं संस्कृति प्रचार समिति व पहरू के द्वारा कुमाउंनी बोली के प्रचार प्रसार के लिए किए गए कार्यों की जानकारी दी। इसके बाद शिक्षक दिनेश भट्ट की पुस्तक “समाज शिक्षा विज्ञानकि बात” और डाॅ. गिरीश अधिकारी के खण्ड काव्य “किरसाण” का विमोचन किया गया। तत्पश्चात डाॅ० दिवा भट्ट, विपिन जोशी ‘कोमल’ को कुमाउंनी भाषा साहित्य व संस्कृति प्रचार समिति द्वारा सम्मानित किया गया। शकुनाखर, सातूं आठूं के मंचन के लिए श्वेता बिष्ट व उनकी टीम तथा प्रकाश जोशी, गिरधर सिंह बिष्ट, दीपा जोशी, मल्लिकार्जुन स्कूल के हरीश जोशी, अनिल रावत, समाज सेवी कमल पुनेड़ा, चंदन बोरा, विमला बोरा, गोविंदलाल ज्वैलर्स के दीपक चौधरी, हेमराज बिष्ट, शारदा विदुषी, पवनेश ठकुराठी, महेंद्र ठकुराठी, डाॅ. के० सी० जोशी, गजेंद्र बोरा, डाॅ. मयंक बिष्ट आदि को सम्मानित किया गया। सत्र का संचालन रमेश जोशी ने किया। आयोजन समिति के संयोजक डाॅ. अशोक पंत व सचिव जनार्दन उप्रेती ने अतिथियों व वक्ताओं का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में कमला पंत, जनकवि प्रकाश जोशी “शूल”, डाॅ. तारा सिंह, नीरज चंद्र जोशी, घनश्याम अंडोला, मोहन कृति पटल के संचालक मोहन जोशी, त्रिभुवन गिरि, किशोर पाटनी, महेश पुनेठा, पहरू के सह संपादक ललित तुलेरा, उज्याव कुमाउंनी भाषा युवा समिति के दीपक सिंह भाकुनी, डाॅ. किशोर पंत, आशा सौन, अनीता जोशी, दिनेश भट्ट, गोविंद सिंह, डाॅ. दीप चौधरी, दीपा जोशी, हेमराज मेहता, मथुरादत्त चौसाली, डाॅ. दीपेंद्र महर, गंगादत्त जोशी आदि उपस्थित थे।
…………….
भूमंडलीकरण के दौर में लोक भाषाओं के सम्मुख चुनौतियां
पिथौरागढ़। “भूमंडलीकरण के दौर में लोक भाषाओं के सम्मुख चुनौतियां और उनका समाधान विषय पर भी चर्चा की गई। “दुदबोली” कुमाउंनी पत्रिका के संपादक चारू तिवारी के व्याख्यान से चर्चा की शुरुआत हुई। साहित्यिक व सांस्कृतिक चुनौतियों पर डाॅ.हेम चंद्र दुबे, आर्थिक चुनौतियों पर वरिष्ठ साहित्यकार व शिक्षक महेश पुनेठा, सामाजिक व राजनीतिक चुनौतियों व उनके समाधान पर शिक्षक व कवि नीरज पंत ने व्याख्यान दिया। प्रकाश पुनेठा, वरिष्ठ पत्रकार दिनेश पंत, हिमालय अध्ययन केंद्र के संस्थापक डाॅ. दिनेश जोशी ने भी कुमाउंनी बोली की विशेषताओं व इतिहास पर प्रकाश डाला। कुमाउंनी लोरियों की पुस्तक “घुघूती बासूति” से चर्चा में आए हेम पंत ने भी श्रोताओं के सम्मुख अपनी बात रखी।
——————-
डॉ.आनंदी जोशी को प्रदान किया श्रीबंधु कुमाऊंनी साहित्य पुरस्कार
पिथौरागढ़। इस अवसर पर न्यू सेरा पिथौरागढ़ निवासी पूर्व शिक्षिका डाॅ. आनंदी जोशी को प्रतिष्ठित बहादुर बोरा ‘श्रीबंधु’ कुमाउनी कथा साहित्य पुरस्कार और सरस्वती भट्ट स्मृति बाल नाटक लेखन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। डाॅ. भारती पाण्डे को साक्षात्कार लेखन प्रतियोगिता में पुरस्कृत किया गया। डाॅ. धाराबल्लभ पाण्डे व नीरज पंत को साहित्य सेवी सम्मान प्रदान किया गया। डाॅ. गिरीश अधिकारी को लेखन पुरस्कार, नारायण लोधियाल व रोहित पांडे को बाल कहानी लेखन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।