पिथौरागढ़ | पिथौरागढ़ में 54 वाँ विजय दिवस मंगलवार को पूरे गौरव, श्रद्धा और देशभक्ति के वातावरण में मनाया गया। जिला मुख्यालय स्थित शहीद स्मारक पर जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास अधिकारी के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में जिलाधिकारी श्री आशीष भटगांई, मेयर कल्पना देवलाल, एवं कर्नल करम सिंह बिष्ट ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

कार्यक्रम के दौरान जिलाधिकारी, मेयर नगर निगम कल्पना देवलाल,कर्नल करम सिंह बिष्ट सहित जिला स्तरीय अधिकारियों, वीर सैनिकों के परिजनों एवं विभिन्न सैनिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने शहीद स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित कर अमर शहीदों को श्रद्धांजलि दी और उनके अद्वितीय बलिदान को नमन किया।इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी श्री आशीष भटगांई ने कहा कि विजय दिवस भारतीय सशस्त्र सेनाओं के अदम्य शौर्य, साहस और सर्वोच्च बलिदान का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि मातृभूमि की रक्षा हेतु हमारे सैनिकों का त्याग प्रत्येक नागरिक के लिए प्रेरणास्रोत है और देश सदैव उनका ऋणी रहेगा।जिलाधिकारी ने वर्ष 1971 के ऐतिहासिक भारत–पाक युद्ध का स्मरण करते हुए कहा कि मात्र 13 दिनों में भारतीय थलसेना, वायुसेना और नौसेना के समन्वित पराक्रम से मिली यह विजय भारतीय सैन्य शक्ति, रणनीतिक कुशलता और अटूट मनोबल का प्रमाण है, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का उदय संभव हुआ।
यह विजय विश्व सैन्य इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय है।उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी भारतीय सेनाओं द्वारा प्रदर्शित साहस और संकल्प हमें देश के प्रति कर्तव्यनिष्ठ रहने और शहीदों के बलिदान को कभी न भूलने की प्रेरणा देता है।कार्यक्रम में उपस्थित छात्र–छात्राओं को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी ने युवाओं से आह्वान किया कि वे 1971 के युद्ध से प्रेरणा लेकर अनुशासन, देशभक्ति और सेवा भाव को जीवन में अपनाएँ तथा शिक्षा, विज्ञान, तकनीक और नवाचार के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में सक्रिय सहभागिता निभाएँ।
अंत में जिलाधिकारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के ‘विजन 2047’ का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य तभी साकार होगा, जब समाज का प्रत्येक वर्ग ईमानदारी, कर्तव्यपरायणता और राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए एकजुट होकर कार्य करेगा। उन्होंने नागरिकों से देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता की रक्षा हेतु निरंतर सजग रहने का आह्वान किया।
इस अवसर पर शहीद स्वर्गीय हवलदार दानसिंह की धर्मपत्नी श्रीमती सरस्वती देवी, लांस नायक दीवानी नाथ की धर्मपत्नी श्रीमती शांति देवी,लांस नायक रतन राम की पत्नी श्रीमती लछिमा देवी, एवं शहीद सिपाही नारायण बिष्ट की पुत्री श्रीमती विमला चंद्र को जिलाधिकारी ने शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। इस अवसर पर सैनिक कल्याण अधिकारी अधिकारी सेवानिवृत्ति कर्नल करम सिंह बिष्ट ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए विजय दिवस के संबंध में संक्षिप्त परिचय दिया उन्होंने कहा कि सन् 1971 में भारत-पाकिस्तान के मध्य युद्ध शुरू हुआ था और 13 दिनों तक चला। आधिकारिक तौर पर, युद्ध 16 दिसंबर को समाप्त हुआ और पाकिस्तान ने भारत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। तेरह दिनों तक चले युद्ध के परिणामस्वरूप पाकिस्तानी सेना ने पूरी तरह से आत्मसमर्पण कर दिया और बांग्लादेश का निर्माण हुआ। पाकिस्तान की सेना ने लगभग 93,000 सैनिकों के साथ भारत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। यह “अब तक की सबसे बड़ी जीत थी । सेना के इस अदम्य साहस और पराक्रम को देखते हुए हर वर्ष 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इसी क्रम में आज 16 दिसंबर 2025 को भारत अपना 54 वाँ विजय दिवस मनाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।विजय दिवस के अवसर पर विभिन्न स्कूली छात्र-छात्राओं द्वारा रंगारंग देश भक्ति कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी गई। इस अवसर पर विभिन्न पूर्व सैनिक संगठनों के पदाधिकारी, जिला स्तरीय अधिकारी एवं विभिन्न स्कूलों के छात्र छात्राएं मौजूद रहें।