धारचूला(पिथौरागढ़)। साम्प्रदायिक नफरत बंटवारा नहीं चाहिए अधिकार बराबरी और सम्मान चाहिए के नारे के साथ ऑल इण्डिया सेन्ट्रल काउन्सिल आफ ट्रेड यूनियन एक्टू का दूसरा जिला सम्मेललन रविवार को सम्पन्न हुआ। चार लेबर कोड वापस लिये जाने की मांग भी जोरदार ढंग से उठाई गयी। इस अवसर पर गठित नये पदाधिकारियों का भी चुनाव किया गया जिसमें दीपा पाण्डे को जिलाध्यक्ष और नरेन्द्र भण्डारी को पुनः जिला सचिव चुना गया।
रविवार को स्थानीय ब्लॉक सभागार में हुए सम्मेलन में मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए एक्टू के प्रदेश सचिव कामरेड के0के0 बोरा ने कहा कि देश महंगाई और बेरोजगारी की आग से झुलस रहा है और मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार और भाजपा साम्प्रदायिक बंटवारे की कोशिशें कर रही है। कामरेड बोरा ने कहा कि 4 लेबर कोड को लागू करने के बाद सरकार मजदूरों को बंधुवा मजदूर बनाने पर तुली है, मजदूरों के अधिकारों का गला घोंटने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मजदूरों के काम की अवधि को बढ़ाना, यूनियन के तौर पर उनके अधिकारों का हनन करने की कोशिश की जा रही है। जिसके खिलाफ मजदूर वर्ग अखिल भारतीय स्तर पर मुखर होकर सड़कों में है। एक्टू समेत अन्य ट्रेड यूनियन के आह्वान पर देश भर के मजदूर, किसानों के आन्दोंलन की भांति जीत कर रहेंगे।
सम्मेलन में निजीकरण, समान कार्य के लिए समान वेतन समेत आंगनबाड़ी और आशा वर्कर्स जैसे स्कीम वर्कर्स को नियमित किये जाने के लिए भी प्रस्ताव पारित किया गया।
इस अवसर पर एक्टू की जिला इकाई ने अपने नई कार्यकारिणी का भी गठन किया। जिसमें कामरेड दीपा पाण्डे का जिलाध्यक्ष और नरेन्द्र भण्डारी को जिला महामंत्री चुना गया। इसके अलावा हेमन्त खाती और इन्दिरा देउपा को उपाध्यक्ष, हरीश धामी को कोषाध्यक्ष और विनोद कुमार और आशा देवी को उप सचिव चुना गया। इस अवसर पर 14 सदस्यीय कार्यकारिणी का भी गठन किया गया।
सम्मलेन में भाकपा माले के जिला सचिव कामरेड गोविंद कफलिया, पूर्व पिथौरागढ़ छात्र संघ अध्यक्ष हेमन्त खाती, समेत उत्तराखण्ड आशा वर्कर्स यूनियन, उत्तराखण्ड आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन, एनएचपीसी कॉन्ट्रक्ट वर्कर्स यूनियन, सफाई कर्मचारी , निर्माण मजदूर संगठन के दर्जनों प्रतिभागियों ने भाग लिया।

म्मेलन में यह प्रस्ताव हुए पारित

धारचूला। सम्मेलन में साम्प्रदायिक नफरत बंटवारा नहीं चाहिए अधिकार बराबरी और सम्मान चाहिए, लेबर कोड वापस लिया जाय, निजीकरण, निगमीकरण व देश की सम्पत्तियों को बेचना बंद किया जाय, महंगाई व बेरोजार पर रोक लगाया जाय,
आशा/आंगनबाड़ी जैसे स्कीम वर्कर्स को राज्य कर्मचारी घोषित किया जाय, न्यूनतम मजदूरी 24 हजार प्रति माह किया जाय, राज्य और केन्द्र सरकार के विभागों में रिक्त पदों को शीघ्र भरा जाय,  महंगाई पर रोक लगाई जाय, पुरानी पेंशन स्कीम बहाल की जाय, आंगनबाड़ी कर्मचारियों को प्री प्राइमरी में रखा जा रहा है, उन्हें भी शिक्षक के बाराबर वेतन और प्रशिक्षण दिया जाय, मुण्डका दिल्ली में अग्निकाण्ड में मरे 29 मजदूरों की मौत की जिम्मेदारी दिल्ली के मुख्यंत्री और राज्यपाल लें और भविष्य में ऐसी घटना को रोकनी की गारण्टी की जाय, प्रत्येक मृतक को एक करोड़ का मुआवजा दिया जाय, पिछले वर्ष अगस्त में आशा आन्दोलन के बाद मुख्यमंत्री द्वारा आशाओं की मांग को हल करने के आश्वासन के बाद भी अपनी घोषणा के अनुरूप बढ़ी हुई धनराशि 13000 किया जाय, एनएचपीसी संविदा कर्मियों को समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाय, संविदा कर्मियों को नियमित किया जाय, नगर पालिका समेत अन्य विभाग में सफाई कर्मियों को स्थाई किया जाय, सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया जाय, ईपीएफ की पेशन को हाईकोर्ड कोर्ट के आदेश के अनुरूप 18000 से कम न दिया जाय, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को मुख्य आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के बराबर मानदेय दिया जाय।