देहरादून। भाजपा ने बिहार में हिंदू त्यौहारों पर होने वाली छुट्टियों में की गई कटौती को इंडी गठबंधन का तुष्टिकरण एवं सनातन विरोधी असली चेहरा बताया है।
प्रदेश अध्यक्ष श्री महेंद्र भट्ट ने तंज कसते हुए कहा कि कुछ ऐसी ही कोशिशें कांग्रेस सरकार ने यहां नमाज की छुट्टी व मुस्लिम यूनिवर्सिटी को लेकर की थी, जिसे देवभूमि की जनता ने पूरी तरह नकार दिया था। साथ चुनौती दी कि स्थानीय कांग्रेस नेताओं में थोड़ा सा भी कर्ज देवभूमि का शेष हो तो वे इस सनातन विरोधी निर्णय की सार्वजनिक आलोचना करे। मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में श्री भट्ट ने आरोप लगाया कि कांग्रेस गठबंधन वाली नीतीश सरकार ने वर्ग विशेष को खुश करने के लिए ही हिंदुत्व को अपमानित करने का निर्णय लिया है । अफसोस होता है कि उनके लिए जन्माष्टमी, महाशिवरात्रि, रक्षाबंधन, रामनवमी के पावन पर्वों का कोई महत्व नहीं है । हमें उनकी ईद एवं बकरीद को लेकर बढ़ती आस्था व विश्वास को लेकर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन इसके लिए हिंदू आस्था पर इस तरह की चोट को बर्दाश्त नही किया जाएगा । उन्होंने कहा, जब से ईडी गठबंधन बना है तब से कांग्रेस और उनके सहयोगी दलों ने सनातन संस्कृति पर हमले तेज कर दिए हैं । कोई सनातन धर्म के समूल नाश की बात करता है, कोई इसे लाइलाज बीमारी बताता है अथवा इसके तमाम धार्मिक प्रतीकों व ग्रंथों का अपमान करता है । गठबंधन के सबसे बड़े सहयोगी होने के बावजूद, कांग्रेस आलाकमान की चुप्पी बताती है कि उनकी शह पर यह सब किया जा रहा है ।
उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि उत्तराखंड की जनता इस तरह की कोशिशों को 2012 से 17 के कांग्रेस कार्यकाल में देख चुकी हैं । उस दौरान नमाज की छुट्टी और मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने के दावे किए गए । लेकिन देवभूमि में ऐसा सोचना भी असंभव है। यही वजह है कि राज्य की जनता लगातार कांग्रेस को उनकी तुष्टिकरण नीति के लिए सबक सिखा रही है । उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सुविधावादी राजनीति करती है, बाहर जनेऊ दिखाती है और बंद कमरों में तुष्टिकरण के वादे करती है ।
स्थानीय कांग्रेस नेताओं को जखझोरते हुए श्री भट्ट ने कहा की यदि उनमें अब भी थोड़ी सी भी उत्तराखंडियत बची हो तो उन्हे सनातनी संस्कृति के अपमान करने वाले बिहार सरकार के इस निर्णय की सार्वजनिक आलोचना करनी चाहिए । हालांकि कांग्रेस नेताओं से ऐसी उम्मीद बेमानी है, इन्हे अवैध मजार टूटने, अवैध धर्मांतरण और लव जिहाद के खिलाफ कार्यवाही पर तो दुख होता है लेकिन अपनी ही सरकार के सनातन विरोधी कदम पर अफसोस तक नहीं होता है ।