पिथौरागढ़। सोरघाटी का प्रमुख चैतोल पर्व नगर के घंटाकरण में बाबा देवल समेत और भगवती के डोलों के मिलन के साथ संपन्न हुआ। इस मौके पर आशीर्वाद लेने के लिए सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु जुटे रहे।
मान्यता है कि बाबा देवल समेत अपनी 22 बहनों को भिटोला देने निकलते हैं। इस वर्ष देवल समेत के मुख्य देव डांगर को अशुद्धि के चलते विण चैंसर से मुख्य डोला नहीं उठा। कुमौड़ और जाखनी में डोला उठा। गांव के मंदिर में पारंपरिक पूजा हुई। यहां पर देवडांगरों में देवता अवतरित हुए। बाद में डोला कुमौड़ से जाखनी पहुंचा। जाखनी से डोला जयकारों के साथ नगर के मध्य सिल्थाम होते हुए सायं को घंटाकरण स्थित शिव मंदिर ले जाया गया। नगर के लिंठ्यूड़ा गांव में मां भगवती की पारंपरिक ढंग से पूजा-अर्चना हुई। इसके बाद शाम को गांव से देवी का डोला घंटाकरण के लिए निकला। घंटाकरण में डोलों का मिलन हुआ। इस अवसर पर पूरा वातावरण बाबा देवल समेत और माता भगवती के जयकारों से गूंज उठा। मजिरकांडा गांव के मन महेश मंदिर में तीन साल बाद चैतोल मेला हुआ। करीब पांच सौ श्रद्धालुओं ने मेले में भाग लिया।