धारचूला। उत्तराखंड सरकार के द्वारा ब्यास घाटी में आदि कैलाश और ओम पर्वत के दर्शन हेलीकॉप्टर से कराए जाने के विरोध में गुंजी में शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन कर रहे व्यास संघर्ष समिति के अध्यक्ष के साथ नपल्च्यू प्रधान को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इस कार्रवाई से लोगों में नाराजगी देखी गई। दोनों के खिलाफ आईपीसी की धारा 107/116 व 151 में कार्रवाई कर निजी मुचलके पर छोड़ दिया।
गुंजी के मानीला में विभिन्न संगठनों के लोग तीन मई से धरना दे रहे थे। इस बीच तहसीलदार भी वार्ता के लिए पहुंचे थे। लेकिन वार्ता विफल रही थी। सोमवार को उप जिलाधिकारी मनजीत सिंह, सीओ परवेज अली के नेतृत्व में जिले भर से बड़ी संख्या में धारचूला पहुंची पुलिस टीम गुंजी पहुंची। इसके बाद राजेंद्र सिंह नबियाल और नरेंद्र नपलच्याल को हिरासत में लेकर धारचूला लाया गया। इसकी भनक लगते ही क्षेत्रवासी बड़ी संख्या में तवाघाट सर्वत्र चौक और फिर कोतवाली के बाहर एकत्र हो गए। इससे माहौल गरमा गया। बाद में दोनों लोगों के खिलाफ धारा 107/116 व 151 के तहत कार्रवाई कर उन्हें निजी मुचलके पर छोड़ दिया गया। पुलिस हिरासत से छूटने के बाद दोनों आंदोलनकारियों का लोगों ने फूल माला से स्वागत किया। उप जिला अधिकारी मनजीत सिंह ने बताया कि आदर्श आचार संहिता लागू है। ऐसे में ग्रामीणों के द्वारा लगातार कानून व्यवस्था को चुनौती दी जा रही थी। इस पर पुलिस के द्वारा आवश्यक कार्रवाई की गई है। सीओ परवेज अली ने बताया कि आईपीसी की धारा 107/116 व 151 में राजेंद्र सिंह नबियाल व नरेंद्र नपलच्याल के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। न्यायालय में पेश करने के बाद निजी मुचलके पर दोनों को छोड़ दिया गया है। प्रशाशन द्वारा शांति व्यवस्था हेतु गुंजी से बाहरी लोगों के वाहनों को वापस भेजने से प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन का आभार व्यक्त किया। इस दौरान पुलिस से कोतवाल कुंवर सिंह रावत, विजेंद्र शाह, प्रकाश पांडेय, दिनेश सिंह,आन सिंह सहित पूर्व चेयरमैन अशोक नबियाल, कृष्णा गर्बयाल, प्रेमा कुटियाल, निहारिका गर्ब्याल,भागीरथी गर्ब्याल, बिंदु रोंकली,भागीरथी ह्यांकी,दीपक रोंकली,गुंजी प्रधान सुरेश गुंज्याल, प्रधान अंजू रोंकली,पूर्व प्रधान अर्चना गुंज्याल,शीला ह्यांकी, पूर्व ब्लॉक प्रमुख नेत्र कुंवर,हरीश रोंकली सहित कई लोग मौजूद रहे।व्यास घाटी टैक्सी यूनियन के अध्यक्ष प्रवेश नबियाल और हरीश कुटियाल का कहना है कि सरकार के द्वारा पूंजीपतियों को लाभ देने के लिए क्षेत्र के जनजाति समुदाय के विरोध को नजरअंदाज किया जा रहा है जिसको स्थानीय लोग स्वीकार नहीं करेंगे।