हल्द्वानी। रानीबाग में मकर संक्रांति के अवसर पर आयोजित उत्तरायणी मेले में कत्यूरी वंशजों ने पारंपरिक उत्साह के साथ जागर लगाया। इस ऐतिहासिक मेले में दूर-दूर से आए कत्यूरी वंशजों ने पारंपरिक वेशभूषा में जियारानी की गुफा में पूजा-अर्चना की। रानीबाग का नाम यहां की वीर रानी मौला देवी से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि रानी मौला देवी ने इस स्थान पर अपनी सेना गठित की थी और यहां एक सुंदर बाग भी तैयार किया था। इसीलिए इस स्थान का नाम रानीबाग पड़ा।उत्तरायणी पर्व पर हर साल यह आयोजन होता है। कत्यूरी वंशज पारंपरिक वेशभूषा में मेले में शामिल हुए। जियारानी की गुफा में पूजा-अर्चना की गई। ढोल-दमाऊ की थाप पर पारंपरिक लोक गीत गाए गए। श्रद्धालुओं ने गार्गी नदी में स्नान किया। यह मेला कत्यूरी वंशजों के लिए अपनी संस्कृति और परंपरा को जीवित रखने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह मेला रानी मौला देवी की वीरता और साहस को भी याद दिलाता है। मेले में अल्मोड़ा, रानीखेत, सल्ट, बिंदुखत्ता, लालकुआं, भतरौजखान और भिकियासैंण से श्रद्धालु पहुंचे।