पिथौरागढ़। पिथौरागढ़ जनपद निवासी प्रसिद्ध पर्यावरणविद् बसंती देवी को पद्म श्री पुरस्कार मिलने पर लोगों में खुशी की लहर है।
पिथौरागढ़ जिले के कनालीछीना के दिगरा गांव निवासी बसंती दीदी का विवाह 10 साल की उम्र में ख्वाकोट गांव में हुआ। बसंती देवी महज 12 वर्ष की उम्र में विधवा हो गई थीं। इसके बाद वह सरला बहन द्वारा स्थापित लक्ष्मी आश्रम कौसानी में रहीं। जहां से उन्होंने इंटर तक की पढ़ाई की। इसके बाद एक समाचार पत्र में प्रकाशित आलेख से इतनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने नदियों को सूखने से बचाने के लिए वनों के संरक्षण की मुहिम शुरू कर दी थी। इसका परिणाम यह हुआ कि ग्रामीणों ने वनों के पेड़ों को काटना बंद कर दिया और पुरानी लकड़ी को ही जलाने के लिए प्रयुक्त करने लगे। साथ ही ग्रामीणों ने आग से भी जंगलों की सुरक्षा करना शुरू कर दिया। पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करने वाली बसंती देवी को वर्ष 2016 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया था। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज ने उन्हें देवी पुरस्कार प्रदाना किया था। उन्हें पर्यावरण के लिए फेमिना वूमन जूरी अवार्ड 2017 भी दिया गया। बसंती दीदी को पद्मश्री सम्मान मिलने से पिथौरागढ़ जिले में खुशी की लहर है।