अल्मोड़ा। भारत सरकार के पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि भारत और नेपाल की साझा संस्कृति का इतिहास सदियों पुराना है। विश्वविद्यालय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद ( नेपाल अध्ययन केंद्र, नई दिल्ली) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस सेमिनार में भारत-नेपाल की संस्कृति, समाज, इतिहास, पुरातत्त्व, परंपराओं पर चिंतन होगा। उन्होंने ऐतिहासिक पक्षों को उजागर करते हुए आयोजकों को अपनी ओर से बधाइयाँ दी।
सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय,अल्मोड़ा के और सेवा इंटरनेशनल-अंतराष्ट्रीय सहयोग परिषद (नेपाल अध्ययन केंद्र), नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में ‘इंडो नेपाल रिलेशन्स एंड उत्तराखंड इंडिया:शेयर्ड हिस्ट्री एंड कल्चर’ विषयक तीन दिवसीय अंतराष्ट्रीय सेमिनार का मुख्य अतिथि रूप में डॉ मुरली मनोहर जोशी (महान शिक्षाविद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री, भारत सरकार), संदर्भ/मुख्य वक्ता व्याख्यान सुनील आम्बेकर ( अखिल प्रचार प्रमुख, राष्ट्रीय सेवक संघ), विशिष्ट अतिथि डॉ धन सिंह रावत ( शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सहकारिता मंत्री, भारत सरकार), कार्यक्रम अध्यक्ष अध्यक्ष अजय टम्टा (सांसद अल्मोड़ा ) एवं एसएसजे विश्वविद्यालय के प्रो नरेंद्र सिंह भंडारी (माननीय कुलपति, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय), राजेन्द्र रावल (वरिष्ठ उपाध्यक्ष, महाकाली साहित्य संगम,नेपाल),स्थानीय आयोजक सचिव प्रो.वी.डी.एस नेगी आदि ने शुभारंभ किया। ‘इंडो नेपाल रिलेशन्स एंड उत्तराखंड इंडिया:शेयर्ड हिस्ट्री एंड कल्चर’ विषयक तीन दिवसीय अंतराष्ट्रीय सेमिनार के उदघाटन अवसर पर मुख्य अतिथि रूप में डॉ मुरली मनोहर जोशी (महान शिक्षाविद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री, भारत सरकार) ने वर्चुअल रूप से जुड़कर सेमिनार को संबोधित किया।संदर्भ व्याख्याता के रूप में सुनील आम्बेकर (अखिल प्रचार प्रमुख, राष्ट्रीय सेवक संघ) ने कहा की भारत और नेपाल के बीच बहुत पुराने संबंध हैं। उन्होंने भारत-नेपाल के ऐतिहासिक संबंधों पर विस्तार से बात रखी। भारत और नेपाल के बीच समानताओं को खोजना और प्रकाश में लाना होगा। हमें संरचनात्मक पक्षों पर काम करना होगा, अनुसंधान करना होगा, ताकि दोनों देशों के बीच रिश्ते गहरे हो सकें। संबंधों को नवीन ऊंचाइयों पर ले जाना होगा।
विशिष्ट अतिथि रूप में राजेन्द्र रावल (वरिष्ठ उपाध्यक्ष, महाकाली साहित्य संगम,काठमांडू,नेपाल) ने भारत-नेपाल से संबंधित इस त्रि दिवसीय सेमिनार को सार्थक प्रयास बताया।
विशिष्ट अतिथि उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने कहा कि हम नेपाल से आये हुए विद्यार्थियों को वो सभी सुविधाएं देते हैं जो हम अपने बच्चों को सुविधा देते हैं। भारत और नेपाल के बीच संबंधों को आजन्म तक बनाये रखना है। हम आपस में भाई हैं। हमारी आर्थिक, सामाजिक,सांस्कृतिक क्रियाएं आपस में जुड़े हैं। हमें उन्होंने भारत-नेपाल संबंधों को लेकर आयोजित सेमिनार के लिए विश्वविद्यालय को बधाई दी।
कार्यक्रम अध्यक्ष अध्यक्ष सांसद अजय टम्टा ने कहा कि ऐसे सेमिनार से दोनों देश के बीच आत्मीयता बनेगी, संबंध प्रगाढ़ होंगे, हमारे युगों के संबंधों में और ऊर्जा आएगी। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के विद्वान हमारे संबंधों को और अधिक गहरा बनाएंगे। उन्होंने झूलाघाट, जौलजीवी, बनबसा आदि क्षेत्रों का उदाहरण देकर भारत और नेपाल के गहरे संबंधों को स्पष्ट किया। उन्होंने विश्वविद्यालय एवं नेपाल अध्ययन केंद्र के प्रयासों की सराहना की।
कुलपति प्रो नरेंद्र सिंह भंडारी ने अतिथियों के स्वागत करते हुए कहा कि भारत-नेपाल के बीच संबंध प्रगाढ़ हैं। हमें अपने संबंधों को और गहरा बनाना होगा। हमारी संस्कृति, इतिहासिक धरोहरों, परंपराओं में समानताएं हैं। उन्होंने कहा कि हम अपने एसएसजे विश्वविद्यालय में नेपाली भाषा को लेकर पाठ्यक्रम का संचालन करने जा रहे हैं और कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित इस सेमिनार में भारत-नेपाल के बीच विभिन्न पहलुओं पर चिंतन किया जाएगा। उन्होंने सभी अतिथियों का विश्वविद्यालय की ओर से स्वागत किया।
इस अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में नेपाल से 25, जर्मनी से 3, फ्रांस से 3, संयुक्त राज्य अमेरिका से 2, पोलैंड से 1, रसिया से 2 विद्वान पहुंचे हैं और ऑनलाइन रूप से विशेषज्ञ भागीदारी की।
सेमिनार का संचालन डॉ चंद्र प्रकाश फूलोरिया ने किया और आभार डॉ सुरेश टम्टा ने जताया।
सेमिनार में पूर्व विधायक कैलाश शर्मा, विधायक मोहन सिंह मेहरा, कुंदन लटवाल, प्रो जगत सिंह बिष्ट (निदेशक, शोध एवं प्रसार), स्थानीय आयोजक सचिव प्रो.वी.डी.एस नेगी, अंतराष्ट्रीय सहयोग परिषद (नेपाल अध्ययन केंद्र), नई दिल्ली के डॉ लवी त्यागी ,कुलसचिव श्री सुधीर बूढ़ाकोटी, विश्वविद्यालय विशेष कार्याधिकारी डॉ.देवेंद्र सिंह बिष्ट, अधिष्ठता प्रशासन प्रो प्रवीण सिंह बिष्ट, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो इला साह, श्याम जी अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष, अंतराष्ट्रीय सहयोग परिषद, वेद प्रकाश ( राष्ट्रीय प्रचारक नेपाल), प्रो एम पी जोशी (प्रसिद्ध पुरातत्त्वविद), अधिष्ठाता शैक्षिक प्रो शेखर चन्द्र जोशी, कुलानुशासक डॉ मुकेश सामंत, डॉ नंदन सिंह बिष्ट , डॉ अरविंद, डॉ रवींद्र पाठक, डॉ देवेंद्र धामी, डॉ नवीन भट्ट, प्रो कौस्तुबनन्द पांडे, प्रो अरविंद अधिकारी, प्रो निर्मला पंत,डॉ चंद्र प्रकाश फुलोरिया, लियाकत अली, प्रो माधव पोखरेल, डॉ ललित जोशी, डॉ गोकुल देवपा, डॉ लक्ष्मी वर्मा, प्रेमा बिष्ट, नेपाल अध्ययन केंद्र की ओर से श्याम जी (अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष, अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद), रेवित जी (सह-राष्ट्रीय प्रचारक, नेपाल), प्रेम जी (अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद), कमल राणा नवनीत राणा (नेपाल अध्ययन केंद्र), प्रो कमलेश जैन (एडवाइजर, सेमिनार), श्री अशोक सर्वाहा जी, श्री वेद प्रकाश (राष्ट्रीय प्रचारक नेपाल), प्रो एम पी जोशी, डॉ स्वेता सिंह, डॉ रीतू चौधरी,रवि कुमार, चंदन जीना आदि उपस्थित थे।