पिथौरागढ़ टुडे 14 नवंबर

डीडीहाट। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने करीब 700 वर्षों तक कत्यूर वंशीय पाल राजाओं की राजधानी रहे ऐतिहासिक क्षेत्र अस्कोट के इतिहास पर प्रकाशित अस्कोट का इतिहास पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर उन्होंने कहा कि यह पुस्तक अस्कोट के वैभवशाली इतिहास को जन-जन तक पहुंचाने में सफल होगी।

डीडीहाट में हुए पुस्तक के विमोचन के अवसर पर अस्कोट का इतिहास पुस्तक ‌के लेखक स्थानीय निवासी एवं राजकीय शिक्षक संघ, पिथौरागढ़ के जिलाध्यक्ष गोविंद भण्डारी ने बताया कि पुस्तक में उत्तराखंड, कुमाऊं और पिथौरागढ़ जिले के संक्षिप्त इतिहास की जानकारी दी गयी है। इसके बाद अस्कोट के राजशाही काल को आधार मानकर अस्कोट के इतिहास को तीन खंडों में विभाजित किया गया है। प्रथम खंड में राजशाही काल (13 वीं शताब्दी) से पूर्व के, दूसरे खंड में राजशाही काल (13 वीं शताब्दी से 1967 ई) तथा तीसरे खंड में राजशाही काल के पश्चात के इतिहास की जानकारी दी गई है। पुस्तक में ऐतिहासिक क्षेत्र अस्कोट के वैभवशाली अतीत के साथ संघर्षमय वर्तमान को सहेजकर उसे भविष्य की संभावनाओं से जोड़ने का प्रयास किया गया है। इस पुस्तक में राजशाही काल में शुरू हुए प्रसिद्ध जौलजीबी मेले, अस्कोट की रामलीला, हंसेश्वर मठ, मल्लिकार्जुन महादेव मंदिर, अस्कोट के किसान आंदोलन के साथ ही अस्कोट की तांबे की खानों, यहां की बोली-भाषा, कला-संस्कृति, तीज-त्योहारों, होली, सातूं-आंठू, घुघुतिया, भैटोली, खतड़वा सहित अस्कोट महोत्सव आदि की भी जानकारी दी गई है। पुस्तक विमोचन के अवसर पर मुख्यमंत्री के अलावा काबीना मंत्री बिशन सिंह चुफाल, सांसद व पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा, कुमाऊं मण्डल विकास निगम के अध्यक्ष केदार जोशी, नगर पालिका अध्यक्ष कमला चुफाल, ब्लॉक प्रमुख बबीता चुफाल सहित तमाम लोग उपस्थित थे।

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 “एक भव्य गौरवशाली अतीत वाले अस्कोट क्षेत्र का इतिहास लिपिबद्ध कम और मौखिक कथानकों, जनश्रुतियों व किंवदंतियों के रुप में अधिक प्रचलित है। जो थोड़ा बहुत लिपिबद्ध है भी तो आधा-अधूरा है या फिर अनेक जगहों पर सत्य व तथ्य से परे दिखाई पड़ता है। प्रस्तुत पुस्तक में अस्कोट के इतिहास से सम्बंधित आज तक की समस्त लिखित व मौखिक जानकारियों तथा अतीत से वर्तमान तक के सफर के अनेक छुए-अनछुए पहलुओं का एक क्रमबद्ध, सुव्यवस्थित व तथ्यपरक संकलन का प्रयास किया गया है।”
 – गोविन्द भण्डारी
  लेखक

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