बागेश्वर। उत्तराखंड के बागेश्वर जनपद के महरूड़ी(धरमघर) स्थित कस्तूरा मृग अनुसंधान केंद्र में एक नर कस्तूरी मृग और तीन शावक की मौत हो गई है। जिलाधिकारी ने जांच टीम गठित कर दी है। कारणों की जांच के लिए सेंपल भेज दिए हैं।महरूड़ी स्थित अनुसंधान केंद्र में 3 सितंबर को एक मृग की मौत हुई थी। इसके बाद 11 और 13 को भी एक शावक और नर मृग की मौत हो गई। जिसके बाद जिलाधिकारी ने मंगलवार को एक टीम जांच के लिए केंद्र पर भेजी। जिसमें पशुपालन विभाग के चिकित्सक डा. कमल तिवारी, डा. अशोक कुमार शामिल थे। टीम अनुसंधान केंद्र पर गहन जांच में जुटी है। हालांकि अभी मौत के कारण स्पष्ट नहीं हो सके हैं। बिसरा जांच के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट का इंतजार है। प्रभारी कस्तूरी मृग अनुसंधान केंद्र डॉ.ललित मोहन सिंह नयाल ने बताया की तीन शावक और एक नर मृग की मौत हुई हैं। जिनका बिसरा आदि जांच के लिए भेजा गया है। उनके मरने के कारण जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल सकेगा। वर्तमान में सात नर और छह मादा और दो शावक हैं। जिलाधिकारी अनुराधा पाल ने बताया कि धरमरघर के महरूड़ी कस्तूरी मृग अनुसंधान केंद्र पर एक माह के तीन शावक और 14 माह का नर मृग की मृत्यु की सूचना मिली। जिसकी जांच की जा रही है। सेंपल भी जांच के लिए भेजे गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद अग्रिम कार्रवाई होगी। मिली जानकारी के अनुसार 18 जून 1974 में एक मृग यहां लाया गया था। उसके बाद आठ अन्य कस्तूरी मृग भी हिमालय से लाए गए। जिसमें पांच नर और चार मादा थे। वर्तमान में सात नर और छह मादा यहां हैं। वर्तमान में इनकी संख्या 13 है। ……………….एक नर कस्तूरा मृग की नाभि से कस्तूरी निकाली जाती है। कस्तूरी सुगंधित होती है। यह बेहद गर्म होती है और इससे दवाएं और परफ्यूम बनाई जाती हैं। कस्तूरी की देश-विदेश में जबरदस्त मांग है। एक मृग में 10 से 12 ग्राम तक कस्तूरी मिलती है। इसकी कीमत 25 से 30 हजार रुपये प्रतिग्राम होती है। कस्तूरी का उपयोग दमा, खांसी, श्वास संबंधी रोग, जोड़ों के रोग, बुखार, हृदय संबंधी रोगों के उपचार में बहुतायत में किया जाता है।