पिथौरागढ़। तीन दिवसीय 15 वां राष्ट्रीय कुमाऊंनी भाषा सम्मेलन संपन्न हो गया है। भाषा सम्मेलन में कुमाऊंनी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने सहित विभिन्न प्रस्ताव पारित किए गए। इस अवसर पर प्रसिद्ध रंगकर्मी हेमराज बिष्ट को भी सम्मानित किया गया। पहरू पत्रिका और उत्तराखंड भाषा संस्थान की ओर से आयोजित सम्मेलन के समापन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व सांसद प्रदीप टम्टा थे। उन्होंने कहा कि लोकभाषा क्षेत्र की पहचान होती है। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. अशोक कुमार पंत ने बताया कि सम्मेलन में कुमाऊंनी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने,कुमाऊंनी भाषा को विद्यालयी शिक्षा में शामिल करने, कुमाऊंनी भाषा संस्थान की स्थापना करने, कुमाऊंनी भाषा- लेखन पुरस्कार योजना शुरू करने, आयोग की परीक्षा में कुमाऊंनी भाषा को अनिवार्य विषय के रूप में शामिल करने, विद्यालयों में संगीत विषय में कुमाऊंनी बैठकी होली, लोकगीत , लिपि भी पाठ्यक्रम में शामिल करने, रंगोली, ऐपन और लोक कला के चित्रण को शामिल करने के प्रस्ताव पास किए गए। समापन अवसर पर संरक्षक डॉ. हयात सिंह रावत, देव सिंह पिलख्वाल, प्रो. नरेंद्र भंडारी, पूर्व प्राचार्य एलएल वर्मा, धर्म सिंह रावत, साहित्यकार एवं शिक्षक महेश पुनेठा, चिंतामणि जोशी, डॉ. सरोज वर्मा, डॉ. पीतांबर अवस्थी, मुकेश पंत, दिनेश भट्ट, जयमाला देवलाल, नीरज जोशी समेत कई लोग मौजूद रहे।

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काव्य गोष्ठी का हुआ आयोजन

पिथौरागढ़। राष्ट्रीय कुमाऊंनी भाषा सम्मेलन में काव्य गोष्ठी का आयोजन भी किया गया। इसमें महेंद्र ठकुराठी, मोहन जोशी, अनु जोशी, प्रकाश जोशी “शूल”, पवनेश ठकुराठी, दीपक भाकुनी, शारदा विदुषी, कमला पंत, नीरज चंद्र जोशी, ललित तुलेरा, विपिन जोशी, डाॅ. धाराबल्लभ पांडे, सीपी जोशी, घनश्याम अंडोला, आशा सौन, डाॅ० आनंदी जोशी, नीरज पंत, मुन्नी टम्टा, डाॅ.दीप चौधरी, गोविंद बिष्ट, प्रकाश पुनेठा, रमेश जोशी, दिनेश भट्ट, जनार्दन उप्रेती, सोनू उप्रेती, कीर्ति बल्लभ शक्टा, प्रकाश पुनेठा, चिंतामणि जोशी आदि कवियों ने अपनी कविताओं से श्रोताओं का दिल जीत लिया। मंच संचालन नीरज पंत ने किया।