धारचूला (पिथौरागढ़)। रं कल्याण संस्था और नंदन न्यास द्वारा रं म्यूजियम में रं भाषा दिवस मनाया गया। नंदन न्यास के संस्थापक नंदराम लाला की पत्नी कुंती लाला के निधन के कारण कार्यक्रम सादगी से आयोजित किया गया।
रं भाषा की लिपि निर्माण हेतु गठित नंदन न्यास के संस्थापक स्वर्गीय नंदराम सिंह लाला के जन्मदिवस 10 जनवरी में रं भाषा दिवस (रंल्वो ज्या) से धारचूला रं संग्रहालय में आयोजित अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव का मनाया गया।
पहले दिन नंदन न्यास के अध्यक्ष कृष्ण गर्ब्याल,संस्था के केंद्रीय मुख्य संरक्षक नृप सिंह नपलच्याल,अध्यक्ष करन सिंह गर्ब्याल,महासचिव धीरेंद्र दताल, कोषाध्यक्ष नर सिंह नपलच्याल, संरक्षक बिशन बौनाल, अशोक नबियाल,अमृता ह्यांकी और राजेश्वरी लाला,भास्कर लाला,और पुष्पा लाला आदि लोगों ने दीप जलाकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
पहले दिन रं भाषा,संस्कृति और रं की लिपि को लेकर अपने विचार रखें, लिपि तैयार करने को लेकर किए जा रहे कार्यों की समीक्षा भी की। कार्यक्रम में रं परंपरा, रं किस्से कहानी कहावत, प्राचीन तकला कोट व्यापार को लेकर अनुभव साझा किए गए। इसके अलावा व्यापार बंद होने को लेकर भी चिंता जताई गई।
नंदन न्यास के अध्यक्ष कृष्णा गर्बयाल ने बताया कि स्व. कुंती लाला के निधन के कारण रं भाषा दिवस में दारमा, चौदास, व्यास और नेपाल के व्यासी शौका द्वारा छलिया नृत्य का प्रदर्शन नहीं किया। कृष्णा गर्ब्याल ने बताया की रं लिपि सभी समुदाय को समझ में आए इसलिए कार्य देवनागरी में किया जा रहा है। रं समाज के बुद्धिजीवी रं लिपि को बनाने में लगे हैं और कार्य प्रगति में है।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव और मुख्य संरक्षक नृप सिंह सिंह नपलच्याल ने बताया कि रं भाषा दिवस और साहित्य उत्सव मनाने का मुख्य उद्देदश रं भाषा और संस्कृति संरक्षण करना और युवाओं को अपनी संस्कृति के बारे में जागरूक करना है। कहा कि अगले साल 10 जनवरी को संस्था के धारचूला, पिथौरागढ़,हल्द्वानी,देहरादून यूपी और दिल्ली की सभी शाखाओं में रं भाषा दिवस मनाया जायेगा।
रं भाषा दिवस में शांति नबियाल, मनसा कुटियाल, हरक बुदियाल,केदार कुटियाल, पूरन सेलाल, मोहन दताल, सुरेंद्र रौतेला, मोहन गुंज्याल आदि गीतकार, गायकों ने रं बोली में अपनी
प्रस्तुति दी। पदम रायपा, प्रेम सोनाल, दीवान गर्बयाल,जीवन रोंकली और दीपू बोहरा में भारत तिब्बत व्यापार में अपने अनुभव साझा की और व्यापार बंद होने पर चिंता व्यक्त की। रं भाषा दिवस कार्यक्रम का संचालन शांति नबियाल, डॉ. विक्रम रोंकली,और महेंद्र कुटियाल ने किया।
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नेपाल के साहित्यकारों ने प्रतिभाग किया
धारचूला। दूसरे दिन साहित्य उत्सव में लोकगीत में रं साहित्य, पुस्तक चर्चा, युगल प्रस्तुतियां, नेपाली साहित्य पर भारत और नेपाल के साहित्यकारों ने प्रतिभाग किया। साहित्य उत्सव में संस्था के पदाधिकारियो ने बीएसएफ से रिटायर डीआईजी के एस गुंज्याल के दास्तानें सीमा पहरी पुस्तक का विमोचन किया।
नेपाल से आए नेपाली साहित्यकार चमन तिकंरी, पदम बड़ाल, जानकी पाल, सुमित्रा कुंवर आदि ने अपने रचनाएं की प्रस्तुति दी। साहित्य उत्सव में मोहन फिरमाल, बसु सेलाल और रोशनी बोनाल ने अपने रं गीतो से मौजूद सभी लोगो झूमने को मजबूर किया।
सत्र का संचालन पुरन सेलाल, शांति नबियाल, चमन तिंकरी और गिरधर रौतेला ने किया।
इस दौरान दीपक रोंकली,महासचिव दिनेश चलाल,राम सिंह ह्यांकी राजन नबियाल,धर्मेंद्र गर्बयाल,सहित संस्था के कार्यकर्ता मौजूद रहे।