पिथौरागढ़। थ्री पैरा स्पेशल फोर्स ने पिथौरागढ़ में शेलाटांग दिवस धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर पूर्व सैनिकों ने 7 नवंबर 1947 को हुई निर्णायक लड़ाई और थ्री पैरा की उपलब्धियों पर चर्चा की।शुक्रवार काे पिथौरागढ़ में थ्री पैरा स्पेशल फोर्स ने शेलाटांग दिवस धूमधाम से मनाया। उन्होंने फोर्स के गौरवशाली इतिहास पर चर्चा की। कहा कि सात नवंबर 1947 को शेलाटांग दिवस मनाया जाता है। पूर्व सैनिकों ने तब हुई निर्णायक जंग को लेकर जीत का जश्न भी मनाया। पूर्व सैनिकों ने कहा कि जब एक कुमाऊं सात लाइट कैवेलरी की टुकड़ी के साथ शेलाटांग शहर में पहुंची। वहां पाकिस्तानी कबायलियों तथा मिलिशिया के साथ निर्णायक लड़ाई लड़ी थी। ताकि शहर को पाकिस्तान के कब्जे से वापस किया जा सके। कहा कि इस उपलब्धि के लिए श्री पैरा को शेलाटांग का युद्ध सम्मान मिला था। उसके बाद पुंछ का युद्ध सम्मान तथा जम्मू कश्मीर का थिएटर सम्मान दिया गया। एक कुमाऊं को बाद में प्रथम बटालियन, रसेल ब्रिगेड नाम दिया गया। फिर इसे थ्री पैरा के रूप में एयरबोर्न रोल में परिवर्तित कर दिया गया। उसके बाद थ्री पैरा एसएफ के रूप में विशेष बल की भूमिका में परिवर्तित किया गया। जिसे रसेल वाइपर उपनाम दिया गया। रेगिस्तान युद्ध के लिए प्रशिक्षित तथा विशेषज्ञ बनाया गया। पिथौरागढ़ में आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि मेजर त्रिलोक सिंह, कैप्टन देवी चंद, सूबेदार मेजर खड़क सिंह, सिपाही हेमंत भट्ट सहित तीन पैरा एसएफ के सभी पूर्व सैनिक उपस्थित रहे।