
पिथौरागढ़। सोर के कुमौड़ गांव का प्रसिद्ध हिलजात्रा उत्सव शुक्रवार को मनाया गया। हिलजात्रा के मुख्य पात्र लखिया और उसे रस्सियों में जकड़े दो गण विशेष आकर्षण का केंद्र रहे। हिलजात्रा के मुख्य पात्र लखिया को देखने और उसका आशीर्वाद लेने के लिए हजारों लोगों की भीड़ जुटी।
शाम चार बजते ही कुमौड़ के हिलजात्रा मैदान के आसपास लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। सबसे पहले हिलजात्रा मैदान में रोपाई करने वाली महिलाओं का दल आया। इसके बाद गल्या बल्द (आलसी बैल) की जोड़ी और एकलवा बैल मैदान में आया। गीत गातीं पुतारियां और तमाम तरह के क्रियाकलाप करतीं बच्चों की टोलियां भी विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं।इसके बाद ढोल-नगाड़ों के बीच ऐतिहासिक मैदान में मुखौटा पहने लखिया ने प्रवेश किया। लखिया और उसे रस्सियों में जकड़े दो गणों के मैदान में उतरते ही लोग रोमांचित हो उठे। महिलाओं ने लखिया की पूजा-अर्चना की।लखिया ने हजारों की भीड़ को आशीर्वाद दिया और कुछ समय बाद वह शांत हो गया। हिलजात्रा उत्सव में सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस जवान भी तैनात किए गए थे। एक साल के अंतराल के बाद आयोजित हिलजात्रा को लेकर लोगों में काफी उत्सुकता देखी गई।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वर्चुअल माध्यम से कुमौड़ हिलजात्रा के अवसर पर सोर घाटी की जनता एवं श्रद्धालुओं को संबोधित किया।मुख्यमंत्री ने सोर घाटी की इस 500 वर्षों से चली आ रही ऐतिहासिक हिलजात्रा पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए इसके सफल संचालन हेतु कुमौड़ हिलजात्रा समिति को बधाई प्रेषित की। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि हिलजात्रा समिति पिथौरागढ़ द्वारा आयोजित आस्था और मनोरंजन का यह अद्वितीय संगम, पिछली पाँच शताब्दियों से अनवरत रूप से जारी, सौर घाटी की ऐतिहासिक पहचान बना हुआ है। उन्होंने आयोजकों को इस महोत्सव के सफल संचालन हेतु शुभकामनाएं दीं।मुख्यमंत्री ने कहा कि गौरा–महेश की पारंपरिक पूजा और सातू–आठू की परंपरा हमारी लोक संस्कृति का जीवन स्वरूप है, जो सामूहिकता और आस्था की शक्ति को सहेजती है। कुमौड़ के चार महर भाइयों की शौर्यगाथा से जुड़े मुखौटों से सुसज्जित यह परंपरा आज भी सुख-समृद्धि और खुशहाली का संदेश देती है। लाखिया बाबा, गलियां, बैल, किसान, हालिया, पुतरिया सभी स्वरूप हमारी मिट्टी और संस्कृति से गहराई से जुड़े हैं।
उन्होंने कहा कि हिलजात्रा पर्व की शुरुआत भले ही महर भाइयों की वीरता से हुई हो, किन्तु समय के साथ इसे कृषि पर्व के रूप में मनाया जाने लगा। तेजी से बदलते इस दौर में, जब लोग अपनी संस्कृति से दूर हो रहे हैं, वहीं सौर घाटी की जनता का अपनी परंपराओं के प्रति लगाव अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करता है। इस पर्व के माध्यम से हमारी धरोहर को भावी पीढ़ियों तक पहुँचाने का संकल्प अत्यंत महत्वपूर्ण है।मुख्यमंत्री ने कहा कि यही भावना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के “विरासत पर गर्व” के संकल्प से जुड़ी हुई है, जिसे आज पूरा देश आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा को संरक्षित एवं संवर्धित करने हेतु सभी कलाकारों और आयोजकों को शुभकामनाएं दीं तथा प्रार्थना की कि गौरा–महेश का आशीर्वाद सभी पर बना रहे। इस अवसर पर जिलाधिकारी विनोद गोस्वामी ने मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया। उन्होंने सोर घाटी की जनता को इस 500 वर्ष पुरानी विरासत हेतु शुभकामनाएं दीं और आने वाली पीढ़ी से इस भव्य धरोहर को आगे बढ़ाने व संरक्षित करने का आग्रह किया।कार्यक्रम में दर्जा राज्यमंत्री गणेश भंडारी, जिला पंचायत अध्यक्ष जितेन्द्र प्रसाद, भाजपा जिला अध्यक्ष गिरीश जोशी, नगर निगम पिथौरागढ़ महापौर कल्पना देवलाल सहित बड़ी संख्या में सोर घाटी की जनता ने लाखिया बाबा एवं हिलजात्रा के इस ऐतिहासिक अवसर पर सहभागिता की।

