पिथौरागढ़। ज्ञान प्रकाश संस्कृत पुस्तकालय समिति पिथौरागढ़ में मासिक काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया।
कवि प्रमोद कुमार श्रोत्रिय ने ” मिलकर नारों के स्वर से समर्पण को दें जीवन दान, बनेगा तब भारत गतिमान- बनेगा भारत तभी महान” कविता प्रस्तुत की। नीरज चंद्र जोशी ने “ठंड कितनी हो औरतें पहाड़ की काम करती हैं, पानी लकड़ी चारा लाना, हर सुबह शाम करती हैं। प्रदीप मिश्र ने लोक का तंत्र रहे आबाद…….। लक्ष्मी आर्या ने नन्हें हाथ भीख मांगने को बढ़े…..। डा.आनंदी जोशी ने जो रक्षक जो पोषक…कविता प्रस्तुत की।
गोष्ठी से पूर्व आयोजित विचार गोष्ठी में राष्ट सुरक्षा एवं विश्व शांति विषय पर कवियों ने अपने विचार व्यक्त किए। वर्तमान परिप्रेक्ष में राष्ट की सुरक्षा में देशवासियों का योगदान एवं विश्वशांति के लिए उठाये जाने वाले आवश्यक कदम के संबंध में भी विचार रखे गए।
गोष्ठी में समिति के निदेशक डाॅ.पीतांबर अवस्थी ने कहा कि आज मानव नैतिक मूल्यों का अधिक ह्रास होने से सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक एवं शैक्षणिक स्तर पर भी मूल्यों में विघटन हो रहा है। यह न विश्व के लिए और न ही व्यक्ति विशेष के लिए हितकर है।