पिथौरागढ़। अल्मोड़ा जिले के भिकियासैंण में दलित युवक जगदीश चन्द्र की अंतर्जातीय विवाह के चलते हत्या के मामले में पिथौरागढ़ में आक्रोशित युवाओं द्वारा ज़िलाधिकारी कार्यालय के समक्ष नारेबाज़ी के साथ प्रदर्शन किया गया. युवाओं ने ज़िलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेज कर घटना में शामिल सभी दोषियों पर कठोर कार्यवाही के साथ साथ इस मामले में पुलिस प्रशासन की ओर से की गयी लापरवाही की जाँच हो और दोषी कर्मियों पर कार्यवाही की माँग की. युवाओं ने उत्तराखंड में जातिगत अत्याचार एवं उत्पीड़न की घटनाओं की संख्या में बढ़ोत्तरी के आलोक में प्रशासन द्वारा जातिगत हिंसा के मामलों में अतिरिक्त तत्परता एवं संवेदनशीलता से कार्यवाही करने की माँग की. युवाओं ने यह भी कहा कि पुलिसबल को जातिगत हिंसा के मामलों की जाँच करने, उनसे निपटने हेतु अलग से प्रशिक्षण देने जैसे तरीक़ों पर भी विचार किया जाए. इस मौक़े पर एकत्रित युवाओं ने अल्मोड़ा पुलिस प्रशासन के ख़िलाफ़ जमकर नारेबाज़ी की और समाज की जातिवादी मानसिकता को प्रश्नांकित करते हुए आवाज़ उठाई. पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष महेंद्र रावत ने कहा कि “हत्या से 12 दिन पूर्व ही युवक-युवती ने अंतर्जातीय विवाह किया था और युवती के परिजनों से लगातार मिल रही जान से मारने की धमकियों के चलते उन्होंने कुछ दिन पूर्व ही एसएसपी को पत्र लिखकर सुरक्षा प्रदान करने की माँग की थी. इतना संवेदनशील मामला होने के बावजूद पुलिस द्वारा नवविवाहित दंपत्ति को सुरक्षा प्रदान नहीं की गयी. पुलिस प्रशासन की इस भारी लापरवाही एवं चूक के चलते एक दलित युवक को अपनी जान गँवानी पड़ी. यह बेहद आक्रोशित करने वाला एवं शर्मनाक है” कृष्णा ने कहा कि “यह बेहद आक्रोशित करने वाला है कि जातिगत हिंसा के बढ़ते मामलों के बावजूद प्रशासन के रवैय्ये में कोई बदलाव आता नहीं दिख रहा. इस मामले में प्रशासन से लिखित अपील करने के बावजूद सुरक्षा प्रदान न करना और शिकायत पर कार्यवाही करने में ढिलाई बरतना पुलिस प्रशासन के कर्तव्यबोध, कार्यशैली और उनकी न्यायप्रियता पर गंभीर सवाल खड़े करता है”छात्रा एकता ने कहा कि – “इस जातीय हिंसा की घटना ने हमारे समाज को शर्मसार कर दिया है. हमारे समाज में जातीय घृणा की इतना गहरी पैठ है ये घटना इसका उदाहरण है”छात्र दीपक ने कहा कि “अनूसूचित जाति-जनजाति पर होने वाले अत्याचारों से बचाव के लिए क़ानून के अस्तित्व में होने के बावजूद समय समय पर पुलिस प्रशासन इस क़ानून में अनुपालन में एवं अनूसूचित जाति-जनजाति समुदाय को सुरक्षा प्रदान करने में असफल नज़र आ रहा है”छात्रा शीतल ने कहा कि “पुलिस की संवेदनशीलता ये जातीय हिंसा की घटना रोक सकती थी. इन मामलों में ऐसी असंवेदनशीलता अक्षम्य है, दोषी पुलिस कर्मियों पर कार्यवाही की जानी चाहिए”इस अवसर पर अभिषेक, मोहित, रजत, गार्गी, निधि खर्कवाल, गणेश, विक्की, गोविंद, एकता, शीतल, ललित, कमल, पंकज, रमेश, रवि समेत अनेकों युवा उपस्थित रहे.