हरिद्वार। देवताओं के शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की जयंती शनिवार को ऋषिकुल फार्मेसी हरिद्वार में धूमधाम से मनाई गई। फार्मेसी के कर्मचारियों ने पूरे जतन से शिल्पदेव की झांकी सजाई और फार्मेसी परिसर को तोरण और फूलों से सजाया। फार्मेसी अधीक्षक डॉ संदीप कटियार और निर्माण चिकित्साधिकारी डॉ अवनीश उपाध्याय की अगुवाई में पंडित आनंद ने भगवान विश्वकर्मा और उपकरणों के पूजन के बाद हवन कराया। कार्मिकों ने अपनी क्षमता के अनुसार विभिन्न भोग भगवान को चढ़ाया व उनका प्रसाद ग्रहण किया। स्वच्छ भारत मिशन पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए फार्मेसी में शिल्पदेव की प्रतिमा के स्थान पर उनके चित्र की पूजा की गयी। इस अवसर पर डॉ अवनीश उपाध्याय ने बताया कि महर्षि विश्वकर्मा जगत के सर्वप्रथम शिल्पाचार्य एवं आचार्यों के आचार्य हैं, वह निर्माण और सृजन के देवता हैं। उनकी पूजा जन कल्याणकारी है। प्रत्येक प्राणी को उन्नति की कामना के साथ भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना अवश्य करना चाहिए। भगवान विश्वकर्मा को देवताओं के अभ‍ियंता के रूप में जाना जाता है। उनकी आराधना कर अच्छे उत्पादन की विनती की जाती है। स्वर्ग लोक से लेकर भगवान श्रीकृष्ण के द्वारकाधीश के रचयिता भगवान विश्वकर्मा ही हैं। पंडित आनंद ने कहा कि भगवान विश्वकर्मा की आराधना से सुख-समृद्धि और धन-धान्य का आगमन होता है। आज अनियमित जीवन शैली और काम के प्रति अत्यधिक दबाव के कारण स्वयं हमारा शरीर ही विभिन्न प्रकार की शारीरिक और मानसिक बीमारियों का घर बन गया है। वेलनेस इंटीरियर डिजाइनर और इवेंट मैनेजर भव्या मिश्रा का कहना है कि घर घर के साथ ही व्यापारिक प्रतिष्ठान भी ऐसा होना चाहिए जिसके अंदर प्रवेश करते ही हम अपने सभी थकान और मानसिक चिंताओं को भूल कर स्वस्थ और वैलनेस से पूर्ण समय बिता सकें और कार्य कर सकें। भगवान विश्वकर्मा ने सभी प्रकार के शिल्प के निर्माण में स्वास्थ्य का भी ध्यान दिया है। किसी भी शिल्प से हम किस प्रकार स्वास्थ्य भी प्राप्त कर सकते हैं यह भगवान विश्वकर्मा के आदर्शों पर चलकर ही प्राप्त किया जा सकता है। समारोह के अंत में सामूहिक रूप से भगवान विश्वकर्मा की आरती की गई। पूजा की व्यवस्था में राकेश गुप्ता और विकी सहगल का विशेष योगदान रहा। पूजा समारोह में अजयवीर सिंह नेगी, सुरेंद्र कुमार, राम कुमार चौधरी, अमित कुमार, सुरेश कुमार, महेंद्र नेगी, अमन सिंह, उदय भान, प्रिंस कुमार, तेग बहादुर, दाता राम, इंदु धस्माना, श्यामा देवी आदि शामिल रहे।