मन को प्रसन्न और प्रफुल्लित करने वाले जगमगाते फूलों को देखना और उनके सुगंध का अनुभव करना बहुत से मानसिक और शारीरिक रोगों को भी दूर कर देता है। फूलों की सुगंध हृदय और नासिका छिद्र तक अपना प्रभाव दिखाकर मन को प्रसन्न करती है। फूलों का रंग और सुगंध पाचन को ठीक करता है, थकान को दूर करता है।
वेलनेस इंटीरियर डिजाइनर और इवेंट मैनेजर भव्या मिश्रा का कहना है की गंध यानि एरोमा भावनाओं की सबसे शक्तिशाली कड़ी हैं, इसीलिए हम आज इस कॉन्सेप्ट को आंतरिक डिजाइनों में भी शामिल कर रहे हैं। एक सुगंधित कमरे में एक निश्चित माहौल और मनोदशा बनाने की शक्ति होती है; एक सुखद सुगंध को सूंघना बहुत ही सुखद अनुभव हो सकता है, आजकल इसे वैज्ञानिक रूप से मापा जा सकता है। मन को भाने वाली सुगंध, रंग की तरह, जीवन में एक अमूल्य जीवंतता जोड़ती है। प्राचीन संस्कृतियों के रीति-रिवाजों से लेकर आज की जीवन शैली की विविधता तक, सुगंधों का उपयोग और आनंद सदियों से चला आ रहा है। सुगंध जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने और आरोग्य प्रदान करने में आश्चर्यजनक रूप से लाभकारी भूमिका निभाते हैं।
योगाचार्य और वेलनेस मोटिवेटर रुचिता उपाध्याय बताती हैं कि सुगंध और रंग के साथ की जाने वाली उपचार प्रणाली को ‘अरोमा थेरेपी’ और ‘कलर थेरेपी’ कहा जाता है। जब सुगंध वातावरण में घुलकर नासिका झिल्ली तक पहुँचती है तो उनकी सुगंध का अनुभव होता है और ये मस्तिष्क के विभिन्न भागों पर अपना प्रभाव दिखाकर मधुर उत्तेजना का अनुभव कराते हैं, जो विभिन्न प्रकार के विकारों को दूर करता है। कुछ विशिष्ट फूलों से चिकित्सा अनुभव साझा करते हुए, रुचिता कहती हैं कि केवड़ा की गंध कस्तूरी जैसी होती है और मस्तिष्क और हृदय के रोगों को ठीक करती है। हरसिंगार, जिसे पारिजात भी कहा जाता है, बात रोगों का नाश करने वाला, चेहरे की कांति को बढ़ाता है और इसकी मीठी सुगंध मन को प्रफुल्लित करती है। कदंब एक गोपीप्रिय पुष्प है जो वर्षा ऋतु में उगता है। गुलाब का फूल सुंदरता, स्नेह और प्रेम का प्रतीक है। यह आंतों की गर्मी को शांत करता है और दिल को खुशी देता है। गुलाब जल से आंखें धोने से आंखों की लाली और सूजन कम हो जाती है। गुलाब का परफ्यूम उत्तेजक होता है और इसका तेल दिमाग को ठंडक देता है। गेंदे की गंध से मच्छर भाग जाते हैं। बेला अत्यधिक सुगंधित फूल और मोहक होता है। मानसिक सुख देने में चमेली का अद्भुत योगदान है। पलाश यानि ढाक को अप्रतिम सौन्दर्य का प्रतीक माना जाता है; क्योंकि इसके गुच्छेदार फूल दूर से ही आकर्षित करते हैं। इसी आकर्षण के कारण इसे जंगल की ज्योति भी कहा जाता है।
रूचिता आगे बताती हैं कि फूल वाले पौधों की आंतरिक कोशिकाओं में विशेष प्रकार की झिल्लियों से ढके कण होते हैं। इन्हें लवक कहा जाता है। ये कण तब तक जीवित रहते हैं जब तक फूल का रंग खत्म नहीं हो जाता। यह सूर्य की किरणों से संपर्क स्थापित कर हमारी आंखों पर रंगीन किरणें डालती हैं, जिससे शरीर को ऋणात्मक, धनात्मक और कुछ तटस्थ प्रकाश किरणें मिलती हैं जो शरीर के अंदर पहुंचती हैं और विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाती हैं। इस तरह हम ‘कलर थैरेपी’ से भी चिकित्सा का फायदा उठा सकते हैं।