पिथौरागढ़। 5 दिसंबर को 7 कुमाऊं रेजिमेंट के पूर्व सैनिकों द्वारा यूनिट के शौर्य और वीरता को समर्पित छम दिवस भव्यता के साथ आयोजित किया गया । इस युद्ध से अपना पराक्रम दिखा चुके पूर्व सैनिक हवलदार दिवान सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की और युद्ध की गाथा को याद कर अपने यूनिट के जवानों के असीम पराक्रम और बलिदान को याद कर इस युद्ध की कहानी अपनी जुबानी बताई । 1971 में हुये भारत – पाक युद्ध के अंतर्गत कुमाऊँ की सातवी बटालियन को युद्ध में भेजा गया और छम्ब सेक्टर में कचरियाल मोर्चे पर डिप्लॉय किया गया। 4 दिसंबर की रात से ही दुश्मन ने अचानक इस सेक्टर पर हमला कर दिया, जहां पर सात कुमाऊँ ने पाक सेना का मुंहतोड़ जबाब दिया और दुश्मन के होश उड़ा दिये। दुश्मन को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। इस महासंग्राम में दुश्मन के 150 से अधिक सैनिकों को ढेर किया। इस में सात कुमाऊँ के भी दो अधिकारी सहित 25 जवानों ने देश के लिये अपने प्राणों की आहुति दी। साथ ही अपना पराक्रम दिखाते हुए पल्टन के लगभग 56 रैंकर्स घायल हुए। इसी पराक्रम को देखते हुए साथ कुमाऊँ को थियेटर आनर छम्ब, जम्मू एंड कश्मीर के सम्मान से नवाजा गया। इस युद्ध में हुए शहीदों व पल्टन के पराक्रम की याद में तब से 5 दिसंबर को छम्ब दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज पल्टन व पल्टन के पूर्व सैनिकों ने अपना 51 वां छम्ब दिवस मनाया। पल्टन को सतवीर पल्टन के नाम से भी जाना जाता है और यूनिट को उसकी बहादुरी तथा शौर्य के कारण ‘हम राही रण के’ से भी जाना जाता है, पल्टन का उदघोष , कालिका माता की जै है। आज के समारोह पर जहां पूर्व सैनिकों द्वारा अपने अपने अनुभव और यादों को साझा किया गया वही सात कुमाऊं में कार्यरत यूनिट के सभी जवानों को शुभकामनाएं भी दी गई। पूर्व सैनिकों ने सेवानिवृत्ति के बाद भी देश हित तथा समाज हित पर महत्वपूर्ण योगदान दिए जाने तथा मिलकर कार्य करने की बात पर भी सहमति जताई गई। आज इस कार्यक्रम पर पूर्व सैनिक भुवन मुडेला, बिमल सिंह, अर्जुन सिंह, रमेश सिंह सहित कई सात कुमाऊं रेजिमेंट के पूर्व सैनिक उपस्थित थे।