जेनेवा। यूरोप में पांच से 14 आयु वर्ग के बच्चों में कोरोना संक्रमण की दर सबसे ज्यादा पाई गई है। डब्ल्यूएचओ ने बच्चों में कोविड-19 के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है।

डब्ल्यूएचओ यूरोप के क्षेत्रीय निदेशक डाॅ. हंस क्लूज ने तर्क दिया कि कोरोना से होने वाली मौतें पहले की तुलना में काफी कम हैं। उनका कहना है कि वैक्सीन ही अंतिम उपाय है। हालांकि, उन्होंने कहा कि पिछले दो महीनों में 53 देशों के मध्य एशिया तक फैले कोरोना वायरस के मामले और मौतें दोगुने से अधिक हो गई हैं। उन्होंने डेल्टा वैरिएंट के खतरे पर भी जोर दिया। कहा कि डेल्टा वैरिएंट पूरे यूरोप और मध्य एशिया में प्रमुख है, और हम जानते हैं कि कोविड टीके गंभीर बीमारी को कम करने और इससे होने वाली मौतों को कम करने में प्रभावी हैं।
डेनमार्क के कोपेनहेगन में डब्ल्यूएचओ यूरोप मुख्यालय में उन्होंने कहा कि यह अभी देखा जाना बाकी है कि कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन किस हद तक गंभीर होगा। ओमिक्रॉन वैरिएंट अब तक क्षेत्र के 21 देशों में 432 मामलों के लिए जिम्मेदार है।
क्लूज ने यूरोपीय देशों से युवाओं के बीच मामलों में तेजी से वृद्धि के बीच बच्चों और स्कूलों की रक्षा करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि कुछ स्थानों पर औसत आबादी की तुलना में छोटे बच्चों में कोरोना संक्रमण की दर दो से तीन गुना अधिक थी। वृद्ध लोगों, स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों की तुलना में बच्चों को कम गंभीर मामलों का सामना करना पड़ता है। बच्चों को अस्पतालों में भर्ती करने की जरूरत भी ज्यादातर नहीं पड़ी। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर बचाव के लिए तत्काल उपाय नहीं अपनाए जाते हैं, तो संक्रमण की वजह से अभी कई और मौतें हो सकती हैं।