पिथौरागढ़। 1971 के भारत पाक युद्ध में उत्तराखंड के 255 सपूतों ने अपने प्राणों की आहूति दी थी। इन सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीरों में पिथौरागढ़ जिले के 87 जवान शामिल थे। आजादी की लड़ाई हो या 1962 में चीन और 1965, 71 में पाकिस्तान या फिर कारगिल युद्ध हर मोर्चे पर जिले के वीर सैनिक हमेशा आगे ही रहे। 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध में जिले के एक मेजर सहित 87 जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी।

1971 में हुए भारत- पाक युद्ध में पिथौरागढ़ के जिन जांबाजों ने अपना बलिदान दिया, उनमें मेजर जीडी जोशी, रतन सिंह, लाल सिंह, जीत सिंह, कैलाश राम, दुर्गा दत्त, केशर सिंह, इंद्र सिंह, नारायण सिंह, किशन जोशी, मोहन सिंह, रतनमणि, जगत सिंह, हीरा चंद, राम सिंह, चंद्र मनी, धन सिंह, त्रिलोक सिंह, दलीप सिंह, भवानी राम, शेर सिंह, दीवानी नाथ, जगत सिंह, हीरा सिंह, पूरन सिंह, गोपाल दत्त सती, मान सिंह, श्याम चंद, दरबान सिंह, लछमन सिंह, शिव सिंह, रतन राम, महिमन सिंह, नेत्र सिंह, रतन सिंह, अंबा दत्त, जमन सिंह, दान सिंह, त्रिलोक सिंह, शेर सिंह, नारायण सिंह, टीका राम, ज्ञानी राम, भीम सिंह, जैन सिंह, प्रेमबल्लभ पंत, हरी चंद, प्रह्लाद सिंह, रेवाधर, गंगा सिंह, मान सिंह, प्रेम सिंह, केशव दत्त, शिवराज सिंह, प्रताप सिंह, केदार दत्त, ज्वाला दत्त, जोध सिंह, शेर सिंह, हरीश चंद्र, मदन सिंह, भवानी राम, नंदा बल्लभ, जगत चंद, हीरा सिंह, मान सिंह, गोविंद सिंह, हीरा चंद, आन सिंह, हयात सिंह, गणेश चंद, गंभीर सिंह, कल्याण सिंह, मान सिंह, शेर सिंह, लक्ष्मण सिंह, नारायण सिंह, राम दत्त, ध्यान सिंह, गंभीर सिंह, किशन सिंह, गोपाल सिंह, हर सिंह, भोपाल सिंह, दरबान सिंह, खड़क सिंह, दीवान सिंह शामिल हैं। इन वीर जवानों को हर साल विजय दिवस के अवसर पर 16 दिसंबर को श्रद्धांजलि दी जाती है।