पिथौरागढ़। हड़ताल पर रोक लगाये जाने एवं महंगाई भत्ते की घोषणा न होने से राज्य कार्मिकों में निराशा है। उत्तराखंड पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन के पिथौरागढ़ शाखा के पदाधिकारियों ने प्रांतीय अध्यक्ष को पत्र भेजकर इस मामले में उचित कदम उठाने की मांग की है।
संगठन के संरक्षक जगत सिंह खाती, जिलाध्यक्ष सौरभ चंद और महामंत्री गिरीश चंद्र जोशी ने कहा है कि उत्तराखण्ड सरकार द्वारा कर्मचारियों/शिक्षकों की वाजिब मांगों पर सकारात्मक रूख न दिखाते हुए लोकतांत्रिक व्यवस्था पर तानाशाही पूर्ण रवैया अपनाते हुए अग्रिम छः माह तक हड़ताल पर रोक लगाई गई है। इस उत्तराखण्ड राज्य को बनाने में कर्मचारी/शिक्षकों ने अपना जीवन तथा नौकरी दाव पर लगाते हुए राज्य निर्माण हेतु हुए आंदोलन में बढ़-चढ़ कर भाग लिया था। जिस उत्तराखण्ड राज्य की परिकल्पना कर्मचारी/शिक्षकों ने की थी, उनकी उम्मीदों को कुचलने का प्रयास जिस प्रकार राज्य के ब्यूरोकेट्स द्वारा सरकार को गुमराह कर किया जा रहा है, वह निन्दनीय है।
उन्होंने कहा है कि घटक संघों,राजकीय शिक्षक संघ / मिनिस्ट्रयल फेडरेशन/डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ की लम्बे समय से चली आ रहीं वाजिब मांगों के सम्बन्ध में चल रही आंदोलनात्मक गतिविधियों को देखते हुए संगठनों के प्रांतीय अध्यक्ष / मंत्री को साथ लेते हुए शासन स्तर पर विभागीय सचिवों की अध्यक्षता में मांगों के निराकरण के सम्बन्ध में कमेटी गठित करते हुए सकारात्मक संदेश देने का प्रयास किया जाना चाहिए था। जबकि ऐसा नहीं किया गया। साथ ही राज्य सरकार द्वारा महंगाई भत्ते की घोषणा में की जा रही देरी से भी समस्त कर्मचारी वर्गों में रोष व्याप्त है।
शासन को भी यह ठीक से समझना जरूरी है कि, किसी भी राज्य के विकास में राज्य के कार्मिकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, कार्मिकों को हतोत्साहित कर राज्य के उत्तम विकास की अवधारणा सफल साबित नहीं हो सकती है। उन्होंने कर्मचारियों और शिक्षकों की भावनाओं को समझते हुए इस मामले में उचित कदम उठाने का अनुरोध किया है।