पिथौरागढ़। भारत-नेपाल प्रथम अंतरराष्ट्रीय काव्योत्सव के समापन के बाद विदेशी मेहमान सीमांत जनपद पिथौरागढ़ से अच्छी यादें लेकर विदा हुए। इस दौरान दोनों देशों के साहित्यकारों ने सौ से अधिक पुस्तकों का आदान-प्रदान किया। नेपाली साहित्य की पुस्तकें पिथौरागढ़ में ज्ञान प्रकाश संस्कृत पुस्तकालय में उपलब्ध रहेंगी। पुस्तकों के आदान-प्रदान होने से दोनों देशों के नागरिक भारत व नेपाल के इतिहास व साहित्यिक संबंधों को करीब से जान सकेंगे।

शहर के न्यू बजेटी स्थित ज्ञान प्रकाश संस्कृत पुस्तकालय में सुदूर पश्चिम नेपाल के पूर्व मुख्यमंत्री एवं इतिहासकार राजेंद्र सिंह रावल की प्रसिद्ध पुस्तकें डोटी का इतिहास, मानसखंड संहिता, नेपाली शब्द सागर, नेपाली रामायण सहित अन्य पुस्तकें प्रदर्शित की गईं। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय काव्योत्सव में विमोचित कैलाश पांडेय की पुस्तक एकलव्य के देश में, गणेश नेपाली का गजल संग्रह एकलव्य के साथ ही कृष्ण सिंह की पुस्तक फूल को प्रहार समेत नेपाली साहित्य, धार्मिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक पुस्तकें उपलब्ध रहेंगी। पुस्तकालय के निदेशक डा. पीतांबर अवस्थी ने कहा कि विदेशी साहित्यकारों ने’ नेपाल साहित्य पुस्तकालय को प्रदान कर एक नई परंपरा को जन्म दिया है। इससे दोनों देशों के लोगों को एक दूसरे के रीति रिवाज, परंपरा के साथ ही साहित्यिक संबंध मजबूत होंगे। डा. अवस्थी ने कहा कि नेपाली भाषा भारत की अनुसूची में शामिल है। पिथौरागढ़ में रह रहे नेपाली नागरिकों को पुस्तकालय में निश्शुल्क पुस्तकें उपलब्ध कराई जाएंगी।