पिथौरागढ़। ख्वांकोट निवासी कीर्ति चक्र विजेता शहीद गोपाल सिंह पोखरिया की स्मृति में शहीद द्वार और स्मारक का निर्माण किया गया है। उनकी 27 वीं पुण्यतिथि पर शहीद द्वार और स्मारक का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर बलिदानी की मूर्ति पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए और वीरांगना पुष्पा पोखरिया को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।

कनालीछीना विकासखंड के ख्वांकोट गांव निवासी गोपाल सिंह पोखरिया का जन्म 30 दिसंबर 1961 को उदय सिंह के घर पर हुआ था। 12 अगस्त 1981 को भारतीय सेना की 3 कुमाऊं राइफल में भर्ती हुए। वर्ष 1997 में जम्मू कश्मीर में तैनाती के दौरान फतेहपुर गांव में उग्रवादी गतिविधियों को रोकने का टास्क 3 कुमाऊं को दिया गया। ऑपरेशन के दौरान नायक गोपाल सिंह की टुकड़ी पर उग्रवादियों ने भारी मात्रा में गोलाबारी शुरू कर दी। अपनी जान की परवाह न करते हुए नायक गोपाल सिंह ने तीन उग्रवादियों को ढेर कर दिया। उग्रवादियों से लड़ते हुए 29 अगस्त को देश के लिए बलिदान हो गए। इस पूरे ऑपरेशन में छह आतंकवादी मारे गए थे। उनकी वीरता को देखकर मरणोपरांत गोपाल सिंह को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। वीरांगना पुष्पा पोखरिया ने शहीद के सम्मान में प्रवेश द्वार बनाने के लिए शासन, प्रशासन, जनप्रतिनिधियों और जिला सैनिक कार्यालय से संपर्क किया लेकिन कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं हुई। पिछले वर्ष पूर्व सैनिक संगठन ने जब व्यथा सुनी तो संगठन ने क्षेत्रीय विधायक विशन सिंह चुफाल के समक्ष इस मांग को रखा। इसके बाद प्रवेश द्वार पर स्मारक का निर्माण किया गया। शहीद द्वार और स्मारक बनने के बाद गुरुवार को गोपाल सिंह के बलिदान दिवस पर उद्घाटन किया गया।

विधायक बिशन सिंह चुफाल, सेना की 12 जम्मू एवं कश्मीर राइफल के सूबेदार सुरेश सिंह के नेतृत्व पर आई सेना की टुकड़ी ने गार्ड ऑफ ऑनर देते हुए श्रद्धांजलि दी। इसके अलावा कर्नल भूपेंद्र सिंह धामी, ख्वांकोट क्षेत्र से कैप्टन दान सिंह गिरी, पूर्व सैनिक संगठन के माध्यम से सूबेदार खिलानंद जोशी, महिमन कन्याल आदि ने पुष्प चक्र अर्पित कर शहीद को श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम में कै.उमेश फुलेरा, देव सिंह, दयाल सिंह, नवीन गुरुरानी, शेर सिंह, दिवाकर बोहरा, प्रह्लाद सिंह, शंकर सिंह, गिरधर खनका, भूपाल सिंह, किशन सिंह, हरिनंदन, जीत सिंह, नंदन सिंह सहित कई पूर्व सैनिक, क्षेत्रीय जनमानस तथा ग्रामीण उपस्थित रहे। संचालन संगठन के सचिव सूबेदार मेजर रमेश सिंह महर ने किया।