दिल्ली/पिथौरागढ़। लक्ष्मण सिंह महर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय पिथौरागढ़ में संस्कृत विभाग में कार्यरत डॉ. बबीता कांडपाल ने पद्मश्री प्रो. अभिराज राजेंद्र मिश्र से मुलाकात कर संस्कृत साहित्य लेखन में रूचि पर साक्षात्कार लिया गया। इसमें मुख्य रूप से प्रो. मिश्र के रचित संस्कृत ग्रंथ “मृगांकदूत” पर भी विस्तार से चर्चा हुई।डॉ. बबीता के साथ बातचीत में पद्मश्री प्रो. मिश्र ने अपनी रचना मृगांकदूत के विषय में कई नवीन जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि दूत काव्य में बालि द्वीप इंडोनेशिया से लेकर संपूर्ण भारत वर्ष की यात्रा का सटीक भौगोलिक, 50 से अधिक संस्कृत विद्वानों, लेखकों का संक्षिप्त वर्णन भी किया गया है। संस्कृत पत्र-पत्रिकाओं के संपादकों का परिचय भी है। वात्सल्य रस से सिंचित ये ग्रंथ नवीन शोध कर्ताओं, पाठकों और संस्कृत प्रेमियों के लिए उपयोगी है। मिश्र ने बताया कि जल्द ही उनके संपूर्ण जीवन पर आधारित एक फिल्म भी बनकर तैयार हो रही है। प्रो. मिश्र साहित्य जगत के प्रख्यात प्राप्त कवियों में से एक हैं। प्रोफेसर मिश्र के संस्कृत महाकाव्य, नाटक, कथा, कविता, प्रहेलिका संदेश काव्य आदि विधाओं में 300 से अधिक ग्रंथ हैं। उन्हें वर्ष 2021 में साहित्य जगत में अमूल्य योगदान के लिए “पद्मश्री” से सम्मानित किया गया। वे संस्कृत के अतिरिक्त हिंदी, भोजपुरी आदि भाषाओं में भी रचनाओं का संपादन करते हैं। संस्कृत महाकाव्य, नाटक, कथा, कविता, संदेश काव्य आदि सभी विधाओं में इनके लगभग 300 से ज्यादा ग्रंथ हैं। अभी तक 250 से अधिक शोधकर्ता इनके व्यक्तित्व, रचनाओं के ऊपर शोध कार्य कर चुके हैं। उन्होंने महाविद्यालय परिवार की ओर से अमूल्य ज्ञान देने के लिए प्रो. मिश्र का आभार जताया। उन्होंने कहा है कि प्रो.मिश्र के सुझाव पिथौरागढ़ महाविद्यालय के संस्कृत के छात्र-छात्राओं के लिए उपयोगी साबित होंगे।