दिल्ली। देश के कई राज्यों में बिजली की मांग रिकॉर्ड स्तर होने से बिजली संकट गहराता जा रहा है। राजधानी दिल्ली समेत 11 राज्यों में अब तक के सबसे उच्च स्तर पर है। देश के चार राज्यों में फिलहाल आठ से 10 दिन का कोयला ही मौजूद है। जबकि अन्य आठ राज्यों के थर्मल पावर प्लांट्स में कोयले का स्टॉक बहुत गंभीर स्तर पहुंच गया है। जानकारी के अनुसार, 10 अप्रैल से ही पावर प्लांट्स में कोयले की कमी हो रही है। 10 दिन में लगातार छह हजार मेगावाट बिजली की कटौती हो रही है। इससे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार, उत्तराखंड और आंध्र प्रदेश सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में भयंकर गर्मी के पूर्वानुमानों, सभी औद्योगिक इकाइयों के कोविड पूर्व स्तर पर लौटने और कोयले की स्थिति देखकर कम से कम 15 राज्यों में बिजली संकट की आशंका जताई जा रही है। सेंट्रल पावर अथॉरिटी के अनुसार, देश में 173 पावर प्लांट्स हैं, इनमें फिलहाल नौ चल नहीं रहे हैं। जबकि 14 आयातित कोयले से चलते हैं। बाकि 150 में से 85 के पास महज 7-10 दिन का ही कोयला बचा हुआ है। 105 के पास भंडारण क्षमता का 25 फीसदी कोयला है। इनमें 50 के पास 10 फीसदी से कम कोयला है। आयातित कोयले से चलने वाले 14 पावर प्लांट्स में से 11 कोयला भंडार क्षमता के 0 से 19 फीसदी तक ही हैं। ऐसी ही स्थिति पिछले साल सितंबर-अक्तूबर में पैदा हुई थी।जानकारी के अनुसार, देश में सबसे ज्यादा परेशान फिलहाल यूपी, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के पास कुछ दिनों का कोयला बचा हुआ है। इसमें यूपी और पंजाब के पास 7-10 दिन का, हरियाणा के पास 8-12 दिन, जबकि राजस्थान के पास 17 दिन का स्टॉक बचा है। राजस्थान के सातों थर्मल पावर प्लांट, उत्तर प्रदेश में चार में से तीन पावर प्लांट, महाराष्ट्र के सात में से छह पावर प्लांट और आंध्र प्रदेश के तीन थर्मल पावर प्लांट में कोयले का स्टॉक बहुत क्रिटिकल स्तर पर है। इसके अलावा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के भी पावर प्लांट में भी कोयले की भारी कमी बताई जा रही है।