बागेश्वर। अपनी वीरता और पराक्रम के लिए जानी जाने वाली कुमाऊं रेजीमेंट के जवानों ने पर्वतारोहण के क्षेत्र में भी परचम लहराया है। रेजीमेंट के 13 सदस्यीय पर्वतारोही दल ने उत्तराखंड राज्य के बागेश्वर जनपद के सुंदरढूंगा घाटी में 5818 मीटर ऊंची दुर्गाकोट चोटी को फतह किया है। यह पहला मौका है जब सेना के पर्वतारोही दल ने इस चोटी पर तिरंगा फहराकर इतिहास रचा है।
मेजर अशोक कपूर के नेतृत्व में कुमाऊं रेजीमेंट के 30 सदस्यीय पर्वतारोही दल दुर्गाकोट चोटी को फतह करने 9 मई को रानीखेत से रवाना हुआ था। पर्वतारोही दल कपकोट के खर्किया से होते हुए 10 मई को कठलिया पहुंचा। बेस कैंप सुखराम से कैंप एक और कैंप दो के लिए रवाना होने के बाद खराब मौसम ने पर्वतारोहियों की राह में बाधा डाल दी। इसके चलते दल के सदस्यों को कैंप दो से वापस बेस कैंप सुखराम लौटना पड़ा था। मौसम के कारण विपरीत हालात पैदा होने के बावजूद दल के सदस्य डिगे नहीं और 18 मई को दल फिर से कैंप एक के लिए रवाना हुआ। लगातार बर्फबारी और विषम हालातों के बावजूद जवान आगे बढ़ते रहे। 19 मई को दल के सदस्यों ने रात के समय कैंप वन से ट्रैकिंग शुरू की और लगातार 30 किमी चले। रात भर चलने के बाद पर्वतारोहियों के दल ने 20 मई की सुबह लगभग छह बजे माउंट दुर्गाकोट की चोटी फतह करने में कामयाबी हासिल की। दुर्गाकोट चोटी को फतह करने के बाद 21 मई को दल लौट आया है। यह पहला अवसर है जब सेना के किसी पर्वतारोही दल ने इस चोटी पर तिरंगा फहराया है। दुर्गाकोट चोटी को फतह कर इतिहास रचने वाले कुमाऊं रेजीमेंट के जवान काफी उत्साहित हैं।

कंचनजंघा, मेटाहार्न चोटियों को भी फतह कर चुके हैं मेजर अशोक

5818 मीटर ऊंची दुर्गाकोट चोटी फतह करने वाले धर्मशाला निवासी मेजर अशोक कपूर कुशल पर्वतारोही हैं। वे इससे पूर्व नेपाल की 8586 मीटर ऊंची कंचनजंघा चोटी और 4478 मीटर ऊंची माउंट मेटाहार्न चोटी को भी फतह कर चुके हैं।