पिथौरागढ़। पहाड़ की जिंदगी यूं तो पहाड़ जैसी ही कठिन होती है लेकिन बरसात में यहां के आम जनमानस की दुश्वारियां और अधिक बढ़ जाती हैं। ऐसे ही एक मामले में मुनस्यारी के दूरस्थ बोना गांव से एक बीमार महिला को ग्रामीणों ने अपनी जान की परवाह किए बिना बदहाल रास्तों और उफनाते नदी नालों को पार करते हुए डोली से 30 किलोमीटर पैदल चलकर मदकोट पहुंचाया।
मुनस्यारी के बोना-तोमिक-गोल्फा गांवों को जोड़ने वाली सड़क बंद पड़ी है जबकि बोना के अस्पताल में चिकित्सक भी नहीं है। रविवार की रात कुंदन बृजवाल की पत्नी गीता देवी का स्वास्थ्य अचानक बिगड़ गया। सड़क बंद होने और अस्पताल में डाक्टर नहीं होने के कारण बीमार महिला की जान बचाने के लिए उसे अस्पताल पहुंचाने का निर्णय लिया गया। इसके बाद लट्ठों से कुर्सी को बांधकर डोली बनाई गई और गांव के युवाओं ने उबड़-खाबड़ रास्तों और नालों को पार करते हुए 30 किलोमीटर पैदल चलने के बाद मदकोट अस्पताल तक पहुंचाया।
बीमार को डोली में रखकर उबड़ खाबड़ और ध्वस्त रास्तों से सुरक्षित ले जा पाना आसान नहीं होता है। थोड़ा सा चूकने पर उफनाई नदी में या फिर खाई में गिरने का खतरा रहता है। लेकिन सरकारी विभागों की उपेक्षा के कारण यह सब इन ग्रामीणों की जिंदगी का हिस्सा बन चुका है।
एनएसयूआई के जिला उपाध्यक्ष विक्रम दानू का कहना है कि हर साल बरसात में इसी तरह के हालात पैदा होते हैं। सड़क बंद होने पर बीमारों को डोली से ही अस्पताल पहुंचाना पड़ता है। इसमें कदम-कदम पर जोखिम रहता है। उन्होंने जिलाधिकारी से अस्पताल में डाक्टर की तैनाती करने और बंद पड़ी सड़क खोलने के लिए संबंधित विभागों को निर्देशित करने की मांग की है।