देहरादून। उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर शाम पांच बजे तक मतदान प्रतिशत के जो रुझान आए हैं, उसने राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों की पेशानी पर बल पड़ गए हैं। प्रचार और जागरूकता की तमाम कोशिशों के बावजूद उत्तराखंड का मतदाता बड़ी संख्या में अपने घरों से बाहर नहीं निकला। नतीजा यह है कि लोकसभा चुनाव में 53.56 प्रतिशत मतदाताओं ने ही अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
2019 के लोस चुनाव में पांचों सीटों पर 58.01 प्रतिशत वोट पड़े थे। मतदान के मामले में राज्य के पर्वतीय लोकसभा सीटों पर मतदान प्रतिशत कम रहा। इसकी तुलना में मैदानी सीटों पर मतदाताओं ने मतदान में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई। शाम बजे तक अल्मोड़ा सीट पर 44.43 प्रतिशत, गढ़वाल सीट पर 48.79 प्रतिशत, हरिद्वार सीट पर 59.01 प्रतिशत, नैनीताल-ऊधम सिंह नगर सीट पर 59.36 प्रतिशत और टिहरी गढ़वाल सीट पर 51.01 प्रतिशत मतदान हुआ। चुनाव आयोग ने उत्तराखंड में इस बार 75 प्रतिशत मतदान का लक्ष्य रखा था। 2019 में 61.88 प्रतिशत मतदान हुआ था, लेकिन इस बार पांचों सीटों पर मतदान 60 प्रतिशत का लक्ष्य पूरा कर पाएगा, इसमें भी संदेह जताया जा रहा है। हालांकि, चुनाव आयोग अंतिम आंकड़े आने के बाद मतदान प्रतिशत में अभी और वृद्धि की उम्मीद जता रहा है।11 बजे तक मतदान बढ़ा फिर गिरने लगा। खुशुनमा मौसम के बीच सुबह सात बजे जब मतदान शुरू हुआ तो राजनीतिक दल, उम्मीदवार और चुनाव आयोग की टीम मतदेय स्थलों पर मतदाताओं की जुटती भीड़ को देख उत्साहित थे, लेकिन यह उत्साह 11 बजे के बाद ठंडा पड़ गया। तीन और पांच बजे मतदान के जो आंकड़े आए, उसने उम्मीदवारों की भी बेचैनी बढ़ा दी है। अल्मोड़ा लोकसभा सीट में सबसे कम मतदान हुआ है।